7 & 8 जनवरी 2024 करेंट अफेयर्स – महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न – उत्तर

यह 7 & 8 जनवरी 2024 का करेंट अफेयर्स है। सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए डेली करेंट अफेयर्स के सवाल-जवाब यहां बता रहे हैं।

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1. स्‍पेसक्राफ्ट आदित्‍य L1 का उद्देश्‍य बताएं?
What is the purpose of spacecraft Aditya L1?

a. चंद्रमा की स्‍टडी
b. सूर्य की स्‍टडी
c. मंगल की स्‍टडी
d. शनि की स्‍टडी

Answer: b. सूर्य की स्‍टडी

सूर्य की स्टडी जरूरी क्यों?
– जिस सोलर सिस्टम में हमारी पृथ्वी है, उसका केंद्र सूर्य ही है।
– सभी आठ ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं।
– सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है।
– सूर्य से लगातार ऊर्जा बहती है।
– इन्हें हम चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं।
– सूर्य का अध्ययन करके ये समझा जा सकता है कि सूर्य में होने वाले बदलाव अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं।

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2. आदित्‍य L1 अंतरिक्ष में किस जगह पहुंचा, जहां से वह एक अदृष्‍य केंद्र की परिक्रमा (हेलो ऑर्बिट) कर रहा है?
Where did Aditya L1 reach in space, from where it is orbiting an invisible center (halo orbit)?

a. लैग्रेंज पॉइंट 2 (L2)
b. लैग्रेंज पॉइंट 3 (L3)
c. लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1)
d. लैग्रेंज पॉइंट 4 (L4)

Answer: c. लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1)

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3. आदित्‍य L1 पृथ्‍वी से कितने किलोमीटर की दूरी पर पहुंचा, जहां से वह सूर्य की स्‍टडी में मदद करेगा?
At how many kilometers distance from the Earth did Aditya L1 reach, from where it will help in the study of the Sun?

a. 12 लाख किलोमीटर
b. 15 लाख किलोमीटर
c. 21 लाख किलोमीटर
d. 15 करोड़ किलोमीटर

Answer: b. 15 लाख किलोमीटर

– आदित्य L1 ने सूर्य की स्टडी करना शुरू कर दिया।
– लैग्रेंज पॉइंट 1 (L1) पर कब पहुंचा : 6 जनवरी 2024
– पृथ्‍वी से दूरी: 15 लाख KM
– कब लॉन्‍च हुआ था : 2 सितंबर 2023
– कहां से लॉन्‍च हुआ था : आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से
– किस रॉकेट से लॉन्‍च : PSLV-C57 का XL वर्जन
– पृथ्‍वी से L1 तक पहुंचने में कितने दिन लगे: 126 दिन

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4. आदित्य एल-1 वास्तव में क्या है?
What exactly is Aditya L-1?

a. सोलर सैटेलाइट
b. अंतरिक्ष वेधशाला
c. रोवर
d. इनमें से कोई नहीं

Answer: b. अंतरिक्ष वेधशाला

आदित्य एल-1 वास्तव में क्या है?
– आदित्य एल-1 एक अंतरिक्ष यान है।
– यह एक अंतरिक्ष वेधशाला है जिसमें अंतरिक्ष दूरबीन और अन्य उपकरण हैं।
– यह सूर्य पर नजर रखेगा और उसका अध्ययन करता रहता रहेगा।

क्या यह हमारे द्वारा छोड़े गए अन्य उपग्रहों की तरह एक उपग्रह है, जो पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है?
– नहीं, यह पृथ्वी की परिक्रमा नहीं करेगा।
– यह पृथ्वी और सूर्य के बीच सीधी रेखा पर पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एक बिंदु की परिक्रमा करेगा।
– इस पॉइ्रट का नाम लैग्रेंज-1 है।
– L1 पॉइंट की कक्षा का नाम हेलो ऑर्बिट है।
– आदित्य एल-1 को समझने के लिए सबसे पहले लैग्रेंज पॉइंट के बारे में जानना होगा।

लैग्रेंज-1, या एल-1 क्या है?
– लैग्रेंज बिंदु किन्हीं दो खगोलीय पिंडों (जैसे पृथ्वी-सूर्य या पृथ्वी-चंद्रमा) के बीच के स्थान हैं।
– लैग्रेंज बिंदु पर रखी अंतरिक्ष यान जैसी कोई वस्तु वहां स्थिर रहेगी, क्योंकि यह दोनों पिंडों से समान रूप से खींचने के अधीन है।
– किन्हीं दो पिंडों के बीच ऐसे कई लैग्रेंज बिंदु हो सकते हैं।
– उदाहरण के लिए, पृथ्वी-सूर्य युग्म के लिए, ऐसे पाँच प्‍वाइंट हैं- L1, L2, L3, L4, L5

तो एक लैग्रेंज प्‍वाइंट दो खगोलिए बॉडी के बीच स्थित है?
– जरूरी नहीं कि ‘बीच’ हो।
– उदाहरण के लिए, पृथ्वी-सूर्य के लिए, केवल L-1 ही पृथ्वी और सूर्य के बीच है।
– एल-2 (जहां नासा का जेम्स वेब टेलीस्कोप लगाया गया है) पृथ्वी के दूसरी ओर स्थित है।
– एल-3 सूर्य के दूसरी ओर स्थित है। L-4 और L-5 पृथ्वी और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा के दोनों ओर स्थित हैं। यदि आप पृथ्वी, सूर्य और L-4 (या L-5) के बीच एक रेखा खींचते हैं, तो आपको एक त्रिकोण मिलेगा।

तो क्‍या अंतरिक्ष यान लैग्रेंज प्‍वाइंट पर स्‍थाई तौर पर रह सकता है?
– ऐसा नहीं है।
– लैग्रेंज बिंदु पर एक वस्तु, जैसे एल-1 पर आदित्य, भी आकाश में आकाशीय पिंडों की गतिविधियों के कारण होने वाले गुरुत्वाकर्षण गड़बड़ी के अधीन है।
– उदाहरण के लिए, जब चंद्रमा पृथ्वी और आदित्य के बीच आएगा, तो वह अंतरिक्ष यान पर अपना खिंचाव डालेगा।
– सभी खगोलीय पिंड, जैसे कि अन्य ग्रह और क्षुद्रग्रह, अंतरिक्ष यान की स्थिरता को प्रभावित करते हैं
– इसके लिए इसरो इसे पृथ्‍वी से कंट्रोल करेगा। इसमें सीमित क्षमता का ईंधन भी है, ताकि किसी दूसरे पिंड के गुरुत्‍वाकर्ष के बाद भी वह वहीं रुका रहे।

क्या यह एल-1 पर एक प्‍वाइंट तक स्थिर नहीं रह सकता?
– अंतरिक्ष यान एल-1 में किसी स्थान पर ‘स्थिर’ नहीं रहता। यह एक अदृश्य केंद्र की परिक्रमा करता रहता है।
– यह 1 किमी प्रति सेकंड से थोड़ी अधिक गति से एक अदृश्य केंद्र की परिक्रमा करता रहेगा। इसे हेलो ऑर्बिट कहते हैं।
– आदित्य एल-1 मिशन में सबसे बड़ी चुनौती अंतरिक्ष यान को एक चुने हुए बिंदु पर इतनी सावधानी से ‘रखना’ है, जहां से यह एक मीरा-मैदान की तरह वहां परिक्रमा करना शुरू कर देगा।

हम सूर्य का अध्ययन क्यों कर रहे हैं?
– सूर्य दो तरह से एनर्जी रिलीज करता है:
1. प्रकाश का सामान्य प्रवाह जो पृथ्वी को रोशन करता है और जीवन को संभव बनाता है।
2. सूर्य से चुंबकीय कणों (मैग्नेटिक पार्टिकल्स) का विस्फोट होता है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक चीजें खराब हो सकती हैं। इसे सोलर फ्लेयर कहा जाता है। जब ये फ्लेयर पृथ्वी तक पहुंचता है तो पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड हमें इससे बचाती है। अगर ये अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स से टकरा जाए तो ये खराब हो जाएंगी और पृथ्वी पर कम्युनिकेशन सिस्टम से लेकर अन्य चीजें ठप पड़ जाएंगी।
– इसलिए इसरो सूर्य को समझना चाहता है। अगर वैज्ञानिकों के पास सोलर फ्लेयर की ज्यादा समझ होगी तो इससे निपटने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।

आदित्‍य L1 के उद्देश्‍य
– आदित्य एल-1 के उद्देश्य दो प्रकार के हैं- अल्पकालिक और दीर्घकालिक।
– अल्पकालिक उद्देश्य सूर्य पर किसी भी विस्फोट (जिसे ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ कहा जाता है) या आवेशित कणों को फेंकने पर पैनी नजर रखना है। यह सोलर तूफान तो हमारे उपग्रहों और बिजली ग्रिडों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
– आदित्य एल-1 सूर्य से आने वाले रेडिएशन की किसी भी ‘तूफान’ को लेकर एक प्रकार की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में काम करेगा।
– आज, भारत के पास स्वयं लगभग ₹50,000 करोड़ की अंतरिक्ष संपत्ति है, जिसे सोलर तूफान से बचाने की आवश्यकता है।
– दीर्घकालिक उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना, इसके बारे में मानव जाति के ज्ञान को बढ़ाना है।

लागत कितनी है
– जहां तक लागत की बात है, इसे लिखने के समय, इसरो ने सटीक संख्या का खुलासा नहीं किया है, लेकिन कहा जाता है कि यह 300 से 400 करोड़ है।

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5. आदित्‍य L1 में कितने उपकरण लगे हैं?
How many components are there in Aditya L1?

a. 4
b. 5
c. 6
d. 7

Answer: d. 7

आदित्‍य L1 में कितने इक्विपमेंट्स
1. SoLEXS: सोलर लो एनर्जी एक्‍सरे स्‍पेक्‍ट्रोमीटर
2. HEL1OS: हाई एनर्जी L1 ऑर्बिट‍िंग एक्‍स-रे स्‍पेक्‍ट्रोमीटर
3. PAPA: प्‍लाज्‍मा एनालाइजर पैकेट फॉर आदित्‍य L1
4. मैग्‍नेटोमीटर
5. SUIT: सोलर अल्‍ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलिस्‍कोप
6. ASPEX: आदित्‍य सोलर विंड पार्टिकल एक्‍सपेरिमेंट
7. VELC: विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ

क्या सूर्य की गर्मी से ये यंत्र पिघल नहीं जायेंगे?
– ऐसा नहीं होगा, क्योंकि एल-1 पृथ्वी से सूर्य की दिशा में ‘सिर्फ’ 15 लाख किमी दूर है।
– यह दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की औसत दूरी का 1 प्रतिशत है। पृथ्‍वी और सूर्य के बीच की दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है।
– बेशक, L-1 प्‍वाइंट पर तापमान बहुत अधिक होगा, लेकिन कुछ हजारों या लाखों के बजाय केवल कुछ सौ डिग्री सेल्सियस।
– हालाँकि, ‘तापमान’ और ‘गर्मी’ में अंतर है।

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6. इसरो ने किस रॉकेट से ‘आदित्‍य L1’ को लॉन्‍च किया था?
With which rocket did ISRO launch ‘Aditya L1’?

a. PSLV-C57
b. LVM3 M4
c. LVM2
d. PSLV-S22

Answer: a. PSLV-C57

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7. आदित्‍य L1 की प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर का नाम बताएं?
Name the project director of Aditya L1?

a. रोमिला खातून
b. रश्मि प्रभा
c. प्रियंका दास
d. निगार शाजी

Answer: d. निगार शाजी

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8. केंद्र सरकार ने एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) का कार्यकारी निदेशक किसे नियुक्‍त किया?
Who has been appointed by the Central Government as the Executive Director of Asian Development Bank (ADB)?

a. मनोज देसाई
b. विकास दिव्‍य
c. विकास शील
d. विनोद गुप्‍ता

Answer: c. विकास शील

– उन्‍हें तीन वर्ष के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) का एग्‍जेक्‍यूटिव डायरेक्‍टर नियुक्‍त किया गया है।
– वह छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं।
– इससे पहले वह जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल जीवन मिशन के अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक के पद पर थे।

एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB)
मुख्‍यालय : मांडलुयॉन्ग, फिलीपींस
स्‍थापना : 19 दिसम्बर 1966
सदस्‍य देश : 68 (इनमें 49 एशिया के सदस्‍य हैं)

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9. जिनेवा में विश्‍व व्‍यापार संगठन (WTO) के भारतीय राजदूत (स्‍थाई प्रतिनिधि) का नाम बताएं?
Name the Indian Ambassador (Permanent Representative) to the WTO in Geneva?

a. सेंथिल पांडियन सी
b. सेंथिल कुमार
c. ब्रजेंद्र कुमार
d. शशि नवनीत

Answer: a. सेंथिल पांडियन सी

– केंद्र सरकार ने अगले तीन वर्ष के लिए (मार्च 2024 से) जिनेवा में विश्‍व व्‍यापार संगठन का भारतीय राजदूत (स्‍थाई प्रतिनिधि) नियुक्‍त किया।
– वह उत्तर प्रदेश कैडर के 2002 बैच के IAS अधिकारी हैं।
– सेंथिल पांडियन सी वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आयुक्त, उत्पाद शुल्क के पद पर तैनात हैं।
– उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब दुनिया मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरों और भूराजनीतिक तनाव का सामना कर रही है।
– वह WTO में ब्रजेंद्र नवनीत की जगह लेंगे।

विश्व व्यापार संगठन
– स्‍थापना : 1995
– मुख्‍यालय : जिनेवा, स्‍विट्जरलैंड
– महानिदेशक : नगोजी ओकोंजो-इवेला
– 13वां मंत्रिस्‍तरीय सम्‍मलेन : फरवरी 2024 में आबू धाबी (UAE) में।

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10. किस IIT ने पहला हाई रेज भूस्‍खलन जोखिम मानचित्र बनाया, जिसमें खतरनाक क्षेत्रों की पहचान करने और बचाव में आसानी होगी?
Which IIT created the first high-resolution landslide risk map, which will facilitate identification and rescue of hazardous areas?

a. आईआईटी बॉम्‍बे
b. आईआईटी कानपुर
c. आईआईटी दिल्‍ली
d. आईआईटी गोवाहाटी

Answer: c. आईआईटी दिल्‍ली

– IIT दिल्ली की टीम ने भारत के लिए पहला हाई-रेज भूस्खलन जोखिम मानचित्र बनाया है।
– रिसचर्स ने लोगों के लिए मानचित्र का पता लगाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी बनाया है।
– यह मानचित्र डेटा निःशुल्क उपलब्ध है।
– 2023 के अंत में पूर्वोत्तर मानसून के दौरान मूसलाधार बारिश के कारण उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बाढ़ और भूस्खलन हुआ। इससे सैकड़ों लोगों की मौत हुई। इसके अलावा देश में भूस्खलन के कारण काफी मौतें होती है।
– इसको देखते हुए एक राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र बनाया गया है।
– इससे सबसे खतरनाक क्षेत्रों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
– अबतक ऐसा भारत के पास पूरे देश के पैमाने पर भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र नहीं था।
– आईआईटी दिल्‍ली के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर और आईआईटी दिल्ली में हाइड्रोसेंस लैब के प्रमुख मनबेंद्र सहारिया के नेतृत्‍व में टीम ने यह मानचित्र तैयार किया।

मानचित्र का नाम – भारतीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र’
– इस मैप में देश के किसी भी स्थान को नहीं छोड़ा गया है।

पूर्व चेतावनी प्रणाली
– मानचित्र में उच्च भूस्खलन संवेदनशीलता वाले कुछ प्रसिद्ध क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
– जैसे हिमालय की तलहटी के हिस्से, असम-मेघालय क्षेत्र और पश्चिमी घाट।
– इससे उच्च जोखिम वाले कुछ पूर्व अज्ञात स्थानों का भी पता चला।
– जैसे कि पूर्वी घाट के कुछ क्षेत्र, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के ठीक उत्तर में।


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