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क्या है भारत-चीन सीमा विवाद?
आसान भाषा में पूरा ज्ञान,
लद्दाख में LAC पर क्या कर रही PLA?
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क्या आप जानते हैं कि 71 साल पहले भारत की चीन से कोई सीमा नहीं लगती थी।
क्या आप जानते हैं कि चीन भारत से लगने वाली पूरी सीमा को मानता ही नहीं।
Do you know that China has a border dispute with 21 countries, जीं हां 21 देश और क्या आप जानते हैं कि 1962 के युद्ध के बाद चीन भारत से कई बार मात खा चुका है।
ये जानकारियां जितनी हैरानी भरी होंगी उतनी ही महत्वपूर्ण भी हैं क्योंकि हर एक के पीछे कोई न कोई तथ्य है और सच्ची घटनाएं हैं । आगे हम सब बताएंगे लेकिन सबसे पहले अभी के हालात क्योंकि चीन ने एक बार फिर भारत को जबरन सीमा विवाद में उलझाना शुरू कर दिया है । Indian government, army and diplomats are also on alert because no one is ready to trust China.
अब वो प्रश्न लेते हैं जिनका हम इतिहास-भूगोल जानेँगे, तथ्यों के माध्यम से समझेंगे और उनका विश्लेषण करेंगे।
– क्यों बाज नहीं आ रहा है चीन?
– LAC पर क्या कर रही है PLA?
– क्या है LAC और कहां है विवाद?
– क्या है चीन की विस्तारवादी नीति?
– और क्यों है भारत की कूटनीतिक परीक्षा?
शुरुआत इस मुद्दे से जुड़े न्यूज रिपोर्ट्स से ताकि आप रहें पूरी तरह इंफॉर्म्ड, अपडेटेड । There are many news stories related to the developments on the LAC. इनमें विशेष हैं।
– पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी संघर्ष के 17 महीने बाद LAC पर 8 जगह चीन ने बनाए नए सैन्य ठिकाने, एयरबेस पर तैनात कीं मिसाइलें, 50 हजार सैनिक भी पहुंचाये।
– चीन के सैनिकों ने अगस्त में उत्तराखंड के बाराहोती में एलएसी को किया पार, न्यूज रिपोर्ट में खुलासा, सौ से ज्यादा सैनिक भारतीय इलाके में कुछ घंटे रुके थ।
– नेपाली जमीन पर चीन के कब्जे के विरोध में काठमांडू में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे, कब्जा की गई जमीन लौटाने की मांग, नेपाल सरकार बनाई जांच कमेटी।
सबसे पहले समझते हैं कि LAC यानी लाइन ऑफ एकचुअल कंट्रोल अर्थात वास्तविक नियंत्रण रेखा क्या है? In this way you will understand everything properly.
क्या है LAC?
दरअसल, 1962 के युद्ध के बाद की स्थिति को LAC के रूप में समझा जाता है।
तीन हिस्सों में बंटी है:-
यानी अरुणाचल और सिक्किम वाला पूर्वी हिस्सा, उत्तराखंड और हिमाचल वाला मध्य भाग & लद्दाख वाला पश्चिमी भाग।
The length of the LAC is about 3488 km और दोनों तरफ चीन और भारत के नियंत्रण वाले इलाके हैं ।
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चीन क्यों नहीं मानता सीमा?
भारत एलएसी को 3488 किमी की ही मानता है लेकिन चीन इसके दो हजार किमी को ही सीमा रेखा मानता है।
LAC पर कोई स्पष्ट सीमांकन यानी demarcation नहीं है, जिसकी वजह से गतिरोध बना रहता है।
इतना ही नहीं, 1914 में तिब्बत और ग्रेट ब्रिटेन के बीच तय हुई 890 किमी की मैकमोहन लाइन को भी वो नहीं मानता क्योंकि उसने तिब्बत पर ही अवैध कब्जा कर लिया।
एलएसी की अवधारणा 1993 में भारत ने औपचारिक तौर पर एक द्विपक्षीय समझौते में रखी थी, हालांकि जमीनी स्थिति पर कोई ठोस समझौता नहीं हुआ इसी कारण दोनों देशों में विवाद होता रहा । दरअसल, चीन ने भारत को लेकर जो धारणा और रणनीति 1959 में बनायी थी, वो आज तक उसी पर क़ायम है । Off course, It is one sided and every time they are just repeating it.
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क्या है चीन की ‘LAC 1959’ थ्योरी
हुआ ये कि 1959 में तत्कालीन Chinese Premier झाउ एनलाई (Zhou Enlai) ने Indian PM जवाहरलाल नेहरू को भेजी एक चिट्ठी में जिस LAC का ज़िक्र किया था, चीन उसे ही अब भी दोनों की सीमा कहता है।
1962 का युद्ध खत्म होने पर भी वो उसी LAC यानी अपनी गढ़ी हुई सीमा की हवाला देता रहा, ये कहकर कि वो उससे 20 किलोमीटर पीछे चला गया है।
इतने सालों बाद यानी 2017 में डोकलाम विवाद के बाद भी अपनी वाली LAC की दुहाई देते हुए वही स्थिति बहाल रखने पर जोर दिया।
1993 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव राव चीन गये तो भारत ने औपचारिक तौर पर एलएसी की अवधारणा यानी कॉंसेप्ट रखते हुए सीमा पर शांति रखने का समझौता किया।
उस समय भी यही तय हुआ कि 1962 की स्थिति ही एलएसी को तय करेगी न कि 1959 की।
चीन की encroachment और expansion की सोच को लेकर कहा जाता है कि वो पहले किसी सीमा पर दावा करता है, फिर बार बार कई अंतर्राष्ट्रीय एवं आपसी मंचों पर उसे दोहराता रहता है जिससे वह इलाका विवादित होता दिखने लगता है। और फिर इसे सुलझाने के लिए कोई प्रस्ताव या समझौते के लिए बातचीत करने लगता है । इससे भी काम नहीं चलता तो धमकी और हमले पर उतर आता है ।
So, In this way China has been occupying the borders of different countries.
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चीन का किस-किस से सीमा विवाद?
इसी तौर-तरीके से उसने भारत ही नहीं बल्कि अपने करीब-करीब सारे पड़ोसियों से विवाद पाल रखा है ।
आसियान के देशों से तो उसके लंबे विवाद हैं। चीन का सीमा विवाद
21 देशों के साथ है, किसी से जमीनी तो किसी से समुद्री सीमा विवाद ।
ये देश हैं – भूटान, नेपाल, भारत, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, म्यांमार, लाओस, मंगोलिया, तिब्बत, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, रूस, दक्षिण कोरिया, ब्रुनेई, जापान, ताइवान, वियतनाम।
भारत के संदर्भ में इतना जरूर है कि दोनों देशों ने बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम बना रखा है जिसका कड़ाई से पालन करते हैं। अग्रिम पंक्ति में तैनात सैनिकों के पास आम तौर पर हथियार नहीं होते। बड़े अफसरों के हथियारों की नोंक नीचे जमीन की तरफ रखी जाती है।
कब-कब हुआ टकराव?
भारत-चीन प्रथम युद्ध, 1962 – चीन ने तिब्बत से लगे हिमालयन क्षेत्र को अपना बताते हुए अचानक हमला किया और एक बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया।
भारत चीन द्वितीय युद्ध, 1967- चीन ने सिक्किम की तरफ से नाथू ला (Nathu La) और चो-ला (Cho La) में घुसने की कोशिश की लेकिन उसकी एक न चली।
भारत चीन तृतीय युद्ध, 1987- इस बार चीन ने अरुणाचल के सुमदोरोंग चू वैली (Sumdorong Chu Valley) में घुसपैठ की कोशिश की जिसे नाकाम कर दिया गया।
डोकलाम, 2017- चीनी सैनिकों ने भूटान सीमा पर स्थित डोकलाम में घुसने की कोशिश की लेकिन उसे जल्द ही पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।
गलवान घाटी, 2020 – (चेक) – चीन समझौते का उल्लंघन करके LAC पर निर्माण कार्य करने लगा, आपत्ति करने पर वो रोकने पर सहमत भी हुआ लेकिन 15 जून की रात गश्त कर रहे भारतीय जवानों पर अचानक हमला कर दिया । वैसे, भारत से ज्यादा नुकसान चीन का हुआ।
इसके अलावा लद्दाख में 2013 में डेपसांग और 2014 में चुमार पर भी वो कब्जे के असफल प्रयास कर चुका है।
1962 में चीन ने लद्दाख के अक्साई चिन का बड़ा भू भाग कब्जा कर लिया था । लद्दाख में अब भी गतिरोध बना हुआ है । दरअसल, चीन कुछ इलाकों से भले ही अपने सैनिक हटा लेता हो लेकिन उन्हें अपने क्षेत्र से पूरी तरह वापस नहीं बुलाता है। इसके अलावा वो सीमा के आसपास अपनी सेना के लिए जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलप कर रहा है ।अब भी चीनी सेना यहां लंबे समय तक रहने के एजेंडे पर काम कर रही है।
बाज नहीं आ रहा चीन:-
1951 में तिब्बत पर कब्ज़ा करने के साथ ही चीन भारत के साथ सीमा साझा करना लगा और दोनों पड़ोसी देश बन गए।
8 साल बाद दलाई लामा ने भारत में शरण ली और तब से तिब्बत की निष्काषित सरकार हिमाचल के धर्मशाला से चल रही है ।
चीन के अब तक के रवैये से साफ है कि वो और आगे बढ़ना चाहता है । भारत के कई इलाकों पर उसकी टेढ़ी नजर है ।
चीन, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे में भी रुकावट बनता रहा।
चीन ने 29 अप्रैल 1954 को भारत के साथ पंचशील समझौता करके संबंध मजबूत करने और एक-दूसरे पर हमला न करने का समझौता तो किया लेकिन 1962 में खुद हमला करके तोड़ दिया।
The Panchsheel Pact was based on the principles of the Buddha. तो एक तरफ सीमा न मानना, उकसाने वाले काम करना और कुछ भी सुनने के लिए तैयार न होना और दूसरी तरफ संयम, शांति और समझदारी । In such a situation, Indian diplomacy has to give a big test.
भारत की कूटनीतिक परीक्षा:-
भारत आज भी पंचशील पर कायम है। न किसी देश पर बेवजह हमला करना और न उसकी जमीन हड़पने की सोच रखना।
विवाद खत्म करने के लिए प्रधानमंत्री पॉंच बार चीन गए। वैसे चीनी राष्ट्रपति से वो 18 बार मिल चुके हैं।
क्वाड और ऑकस के गठन के बाद चीन वैसे ही परेशान है और अपनी कुंठा निकालने के लिए कुछ भी कर सकता है।
अरुणाचल के 90,000 वर्ग किमी को चीन ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताता है । त्वांग क्षेत्र को अक्साई चिन के बदले सौपने की नाकाम चाल भी चल चुका है।
सीमा पर भारतीय सेना जिस संयम का परिचय दे रही है उसे पूरी दुनिया देख रही है लेकिन अतिरिक्त सतर्कता जरूरी है।
चीन से संबंध एक बार निचले स्तर पर हैं और ऐसे में एक सूझबूझ और दीर्घकालीन कूटनीतिक रणनीति की जरूरत है।
दुनिया भर में चीन को अपने वादों से मुकरने के लिए जाना जाता है ऐसे में भारत को सावधानी से कदम बढ़ाना होगा।