भारत-चीन के बीच LAC तनाव पर यह करेंट अफेयर्स नोट्स, जो आपके कांपटीटिव एग्जाम्स में मदद करेगा। इसका PDF Download Link इस पेज के लास्ट में मौजूद है। Current Affairs PDF आप इस पेज के आखिरी हिस्से से Free में डाउनलोड करें। बिना लिखित अनुमति के इस आर्टिकल को ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रकाशित करना भारतीय कॉपीराइट कानून का उल्लंघन होगा।
तो फाइनली, इंडिया और चाइना ने LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर इंडिया-चाइना के बीच टेंशन खत्म करने का फैसला किया है।
– चीन ने गलवान वैली, पैंगोंग त्से लेक और हॉट स्प्रिंग गोगर के विवादित क्षेत्र से सेना पीछे हटाने का फैसला किया।
– चीनी सेना (PLA – पिपुल्स लिबरेशन आर्मी) दो किलोमीटर पीछे हट गई है।
– पैंगोंग त्से लेक और हॉट स्प्रिंग गोगरा से चीन ने टेंट हटाए हैं।
– चीन ने ऑफिशियली कहा भी है कि वह क्षेत्र में शांति के लिए पीछे हट रहा है और ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे गलवान जैसा विवाद बढ़े।
– इंडिया ने ऑफिशियली कहा है कि दोनों देश शांति चाहते हैं।
यह सब हुआ है इंडिया और चाइना के बीच स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव टॉक्स की वजह से।
– इंडिया की ओर से NSA (नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर) अजित डोभाल और चीन की ओर से वहां के विदेश मंत्री वांग यी जो वहां के स्टेट काउंसलर भी है, उन्होंने बात की।
– यह बातचीत 5 जुलाई की रात को हुई है।
तो इसके बारे में आपको डिटेल में बताते हैं कि बातचीत और सीमा पर क्या हुआ, कैसे हुआ, एक-एक बात?
– बहुत से तथ्य हैं, – किन जगहों पर टेंशन रहा।
– इंडिया के तीखे तेवर – ट्रेड और आर्मी दोनों लहजे में, रूस की इंन्वॉलमेंट, अमेरिकी फौज का साउथ चाइना सी में और एशिया में जबरदस्त तैनाती।
– गलवान घाटी को बफर जोन बनाने की भी बात है।
—
LAC वास्तविक नियंत्रण रेखा क्या है?
– LAC इंडियन कंट्रोल्ड एरिया और चाइनीज नियंत्रित एरिया को अलग करता है।
– भारत LAC को 3,488 किमी लंबा मानता है, जबकि चीनी इसे लगभग 2,000 किमी मानते हैं।
– यह तीन पार्ट में है
– पहला – लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड
– दूसरा – सिक्किम
– तीसरा – अरुणाचल प्रदेश
—–
तो पहले देख लेते हैं कि किन जगहों पर विवाद था और चीन अब पीछे हट रहा है।
– सबसे पहले गलवान घाटी की बात, जहां पर सबसे ज्यादा टेंशन था और 15 जून को खूनी झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे।
– गलवान रिवर जो चीन की ओर से आती है और कुछ किलोमीटर आगे श्योक रिवर में मिल जाती है।
– तो इस जगह से LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल गुजरती है।
– इसके एक तरफ इंडिया का कंट्रोल है, तो दूसरी तरफ चीन का कंट्रोल।
– तो इससे कुछ दूरी पर श्योक नदी के किनारे ITBP का कैंप है। जो LAC निगरानी करता है। साथ में इंडियन आर्मी भी तैनात रहती है। यहीं से दारबक – दौलत बेग ओल्डी (DBO) रोड भी जाता है, जो स्ट्रैटजिक रूप से बहुत ही इंपॉर्टेंट है।
– उधर, LAC के दूसरी तरफ कुछ किलोमीटर की दूरी पर चाइनीज आर्मी का कैंप है।
– चीनी फौज मई महीने में LAC यहां पर आ गई थी।
– मीडिया रिपोर्ट में था कि वह इंडियन टेरेटरी में थी, हालांकि बाद में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इंडियन इलाके में कोई नहीं घुसा है।
– तो यहीं पर चीन ने अपने टेंट और आर्मी तैनात कर दिए थे।
– आम तौपर होता यह था कि इंडिया और चाइना की फौज यहां पर पेट्रोलिंग (निगरानी) करने जाती थी और अगर आमना सामना हुआ तो वे एक दूसरे को झंडा दिखाकर वापस लौट जाते थे।
– लेकिन मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जून में चीन एलएसी पर इंडियन टेरेटरी में आकर बैठ गया।
– अब इंडिया के लिए दिक्कत यह थी कि ये पहाड़ी काफी ऊंची है।
– अगर इसके ऊपर चीनी फौज आ गई, खड़ी हो गई, तो इंडिया के ITBP कैंप और लेह-दौलत बेग ओल्डी रोड पर चीन की सीधी नजर रहती।
– ऐसे में यह कैंप और रोड खतरे में आ सकता था।
– ये नदी घाटी है। ऐसा भी नहीं है कि मैदान हो, तो किसी भी फौज के एिल यहां रुकना मुश्किल है।
– इससे पहले भी इस जगह पर चीनी आर्मी और इंडियन आर्मी के बीच पीछे हटने (डीस्केलेशन) की बात हुई थी।
– जब इंडियन आर्मी की एक टुकड़ी यह देखने गई थी, कि चाइनीज पीछे गए या नहीं, तब चाइनीज आर्मी ने हमला कर दिया था।
– दोनों तरफ से खूनी झड़प हुई थी। हमारे 20 जवान शहीद हुए थे। चीन ने अपने सैनिकों की मौत का आंकड़े का खुलासा नहीं किया।
– बाद में तो टेंशन और बढ़ गया और कई सैटेलाइट इमेज सामने आई, जिसमें चीनी फौज के टेंट, बुल्डोजर और फौज के कैंप दिख रहे थे।
– तो यहीं से चीनी फौज दो किलोमीटर पीछे हटी है।
—–
दूसरा टेंशन पैंगोंग त्से लेक के किनारे चल रहा है।
– यहां पर फिंगर एरिया है। एक से लेकर आठ तक।
– दरअसल, पहाड़ कुछ इस तरह हैं, कि ये फिंगर का शेप बनाता है, इस तरह से। (मुट्ठी बंद)
– तो इंडिया का मानना है कि LAC फिंगर 8 से गुजरता है और इंडिया वहां तक पेट्रोलिंग करता रहा है।
– जबकि चीन का दावा कि LAC फिंगर 2 से गुजरता है।
– फिंगर 3 के बीच में ITBP का कैंप है। जहां इंडियन आर्मी भी तैनात रहती है।
– तो चाइनीज आर्मी इसके पास तक चली आई थी। पिछले महीने यहां भी हिंसक झड़प और पत्थरबाजी हुई थी, जिसमें कुछ जवान घायल हुए थे।
– इसके बाद फिंगर 4 पर यहां चीनी आर्मी ने टेंट लगा लिए थे। मतलब कि इंडियन LAC के अनुसार आठ किलोमीटर अंदर.
– तो द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार ताजा अपडेट है कि यहां से भी चाइनीज आर्मी ने यहां से टेंट हटाए हैं।
—–
तीसरा टेंशन वाला इलाका है, हॉट स्प्रिंग गोगरा।
– यहां पर भी ITBP का कैंप है।
– आपको यहां पर अमर शहीद लिखा हुआ दिखेगा।
– मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना इसके नजदीक चली आई थी। कुछ किलोमीटर की दूरी पर।
– तो यहां से भी चीनी सेना ने टेंट हटाए हैं।
—-
अब बचा चौथा इलाका, जो है डेपसांग प्लेंस.
– द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार यह तय हुआ है कि यहां से भी चीनी सेना पीछे हटेगा।
– दरअसल, इसके पास से ही लेह-दौलत बेग ओल्डी रोड गुजरता है।
– तो यहां से भी चीन पीछे हटेगा। लेकिन पहले पिछले तीन इलाके से पीछे हटेंगी।
– पीछे हटने को डीस्केलेशन कहते हैं, दोनों ही सेना पीछे जाती है।
————————
अब सवाल है कि
तो ऐसा क्या हुआ कि चीन ने अपनी सेना पीछे हटाने का फैसला कर लिया।
– इसकी एक वजह नहीं है। कई वजहें हैं – जैसे
– भारत की ओर से लद्दाख में मिलिटरी बिल्डअप।
– 59 चीनी ऐप पर बैन लगाकर ट्रेड वॉर की स्थिति लाना।
– पर्दे के पीछे से रूस की कोशिश।
– एशिया में बड़ी संख्या में अमेरिकी फौज की तैनाती।
– साउथ चाइना सी में चीनी टेरेटरी में अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स की जबरदस्त गश्त।
– और सबसे महत्वपूर्ण – इंडिया चाइना के बीच डिप्लोमेटिक और पॉलिटिकल मीटिंग। जिसमें अजित डोभाल की भूमिका रही।
—–
इन सबको एक-एक करके आपको डिफाइन करते हैं।
—-
भारत की ओर से लद्दाख में मिलिटरी बिल्डअप –
– देखिए, पहले तो मिलिटरी कमांडर लेवेल पर टॉक चल रही थी। लेकिन उसमें डीस्केलेशन के डिसीजन तो हो रहे थे, लेकिन इंप्लीमेंटेशन नहीं हो रहे थे।
– चीन ने ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से बार-बार धमकी दी कि वह युद्धाभ्यास कर रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कई बार ऐसे बयान दिए, जो धमकी भरे थे।
– तब इधर, से इंडिया ने लद्दाख में 30 हजार सैनिक तैनात कर दिए।
– एयर डिफेंस सिस्टम ‘आकाश’ को तैनात कर दिया।
– रूस को 33 फाइटर जेट (सुखोई 30 MKI और मिग-29) और कुछ मिसाइल के लिए इंडिया ने ऑर्डर दे दिया।
– इसके लिए 38,900 करोड़ रुपए भी केंद्र सरकार ने एलॉट कर दिए।
– फ्रांस से राफेल फाइटर जेट भी जल्द लाने की तैयारी हो गई।
– भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद लद्दाख गए और मिलिटरी बेस नीमू में सोल्जर्स को संबोधित किया बातचीत की।
—-
59 चीनी ऐप पर बैन लगाकर ट्रेड वॉर की स्थिति लाना।
– गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद भारतभर में चीन के खिलाफ गुस्सा भड़का और बायकॉट चाइना की मुहिम शुरू हो गई।
– वैसे चीन हमारी जरूरत के अधिकतर सामान में घुसा हुआ है, लेकिन लोगों ने चीनी सामानों को खरीदना कम किया।
– इधर, केंद्र सरकार ने टिक-टॉक समेत 59 ऐप पर बैन लगा दिया।
– समुद्री पोर्ट पर चीनी सामानों की इतना गहन तलाशी ली जाने लगी कि वह वहीं पर रुक गया।
– बहुत सारे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के प्रोजेक्ट के टेंडर रद्द कर दिए गए, जिनमें चीनी कंपनी की भूमिका थी। जैसे – एक्सप्रेस वे का टनल बनाने का काम, पटना में गंगा पर ब्रिज बनाने का काम।
– महाराष्ट्र में इंडस्ट्री लगाने के एमओयू को स्थगित कर दिया गया।
– उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए चीनी कंपनी के करार को खत्म कर दिया।
– भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी का एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया।
– यह इंडिया की ओर से एकतरफा ट्रेड वॉर की तरह ही था।
– हालांकि कुछ लोगों ने जरूर कहा, कि इससे चीन को फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि उसके ग्लोबल एक्सपोर्ट का मात्र 3 पर्सेंट ही इंडिया में सप्लाई होता है।
– लेकिन ऐसे समय में जब कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया में डिमांड कम हो गई है तो चीन में फैक्ट्री के करोड़ों मजदूर बेरोजगार हुए हैं।
– तब 3 प्रतिशत का एक्सपोर्ट भी बहुत मायने रखता है।
—-
पर्दे के पीछे से रूस की कोशिश।
– इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रूस खुलकर सामने नहीं आया, लेकिन उसकी कोशिश के बाद ही चीन ने भारत के 10 जवानों को छोड़ा था, वरना हालात और बिगड़ सकते थे।
– भारतीय जवानों को 15 जून की रात की खूनी झड़प के बाद चीन ने हिरासत में ले लिया था और तीन दिन बाद उसने भारत को सौंपा था।
– इसके बाद ही 23 जून को RIC (रूस, इंडिया, चीन) की मीटिंग हुई थी। जिसमें तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने वर्चुअली हिस्सा लिया था।
– दरअसल, 15 जून के बाद भारत ने साफ कर दिया था कि टेंशन कम करने के लिए चीन को भारतीय जवानों को छोड़ना चाहिए, वरना बातचीत नहीं हो पाएगी।
– रूस चाहता था कि तीनों देशों के बीच होनेवाली RIC पटरी से न उतरे।
– इसके बाद भी पर्दे के भीतर से LAC के टेंशन को कम करने की कोशिश में लगा रहा।
– हालांकि इंडिया-चाइना के टेंशन से रूस को फायदा ही हुआ, क्योंकि उसे 38,900 करोड़ रुपए का फाइटर जेट और डिफेंस इक्यूपमेंट भारत को बेचने का मौका जो मिल गया।
—-
एशिया में बड़ी संख्या में अमेरिकी फौज की तैनाती।
– इंडिया-चाइना टेंशन में रूस की इंवॉल्मेंट देखते हुए अमेरिका भी सक्रिय हो गया।
– अमेरिका ने जर्मनी में तैनात फौज की कटौती करके 25 हजार से ज्यादा सैनिक एशियाई इलाके में तैनात कर दी।
– इसमें हिन्द महासागर में एक आइलैंड ‘डिएगो गार्सिया’ में सैनिक और नेवी तैनात कर दी।
– इसके अलावा साउथ कोरिया में अमेरिका ने एयर डिफेंस सिस्टम THAAD को तैनात कर दिया।
– जिस रूस के S-400 के बाद बेहद शक्तिशाली एयर डिफेंस सिस्टम मना जाता है।
– इससे चीन परेशान हुआ और उसने बयान जारी करके इसकी प्रतिक्रिया भी दी।
– इतना ही नहीं, अमेरिका ने अपने नौसैनिक बेड़े को प्रशांत महासागर में यलो सी के पास तैनात कर दिया।
– जो चाइनीज टेरेटरी के पास में है।
– इतना ही नहीं साउथ चाइना सी में एयरक्राफ्ट कैरियर USS निमित्ज और USS रोनाल्ड रीगन एयरक्राफ्ट कैरियर ने युद्धाभ्यास शुरू कर दिए।
– 4 और 5 जून को ही परमाणु बम ले जाने में सक्षम अमेरिका के B-52H बमवर्षक विमान के साथ अमेरिका के 10 अन्य फाइटर जेट और निगरानी विमानों ने रविवार को एक साथ दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरी।
– चीनी नेवी ने इन फाइटर जेट्स को वापस जाने को बार-बार कहा, लेकिन ये जहाज यहां पर मिलिटरी एक्सरसाइज जारी रखा।
– इसने भी चीन पर दबाव डाला।
—–
– अब सबसे इंपॉर्टेंट बात, जिसे टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है।
– इंडिया चाइना के बीच डिप्लोमेटिक और पॉलिटिकल मीटिंग। जिसमें अजित डोभाल की भूमिका रही।
– 5 जून की रात को इंडियन नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) अजित डोभाल और चाइनीज फॉरेन मिनिस्टर वांग यी के बीच बातचीत हुई।
– बताया जाता है कि इसमें डोभाल ने सख्त बात की।
– नतीजा था कि चीन शांति के लिए तैयार हो गया और सेना के पीछे हटाने का काम शुरू कर दिया।
– गलवान घाटी, पैंगोंग त्से लेक और हॉट स्प्रिंग गोगरा से चीन ने सेना पीछे की।
– डोकलाम स्टैंडऑफ के समय भी डिप्लोमैटिक और पॉलिटिकल टॉक के बाद ही चीन पीछे हटा था।
बातचीत में नतीजा क्या निकला?
– मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अजित डोभाल और वांग यी के बीच तय हुआ कि डोकलाम में चीनी सेना पीछे हटेगी।
– इसके बाद यूएवी (ड्रोन) से इंडिया इसे देखेगा कि चीनी फौज पीछे हटी या नहीं।
– तब आर्मी की एक टुकड़ी, मौके का जायजा लेने जाएगी। जवान वहां पर विजिट करके कन्फर्म करेंगे कि चीनी फौज पीछे हट चुकी है।
बफर जोन बनेगा गलवान घाटी
– द हिन्दू ने लिखा है कि बातचीत में गलवान घाटी को बफर जोन बनाने की बात हुई है।
– बफर जोन का मतलब कि कोई सेना नहीं रहेगी, हां, दोनों तरफ की फौज पेट्रोलिंग करेगी।
डेपसांग प्लेंस (डेपसांग मैदान) का क्या हुआ?
– यहां से भी फौज चीनी फौज पीछे हटेगी। लेकिन पहले तीन जगह – गलवान घाटी, पैंगोंग त्से लेक और हॉटस्प्रिंग गोगरा से चीन के पीछे हटने के बाद।
Free Notes PDF of : Free Download – Click Here
आप यूट्यूब चैनल सरकारी जॉब न्यूज पर भी करेंट अफेयर्स के वीडियो को देख सकते हैं।