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मुद्दा –  अमेरिका ने ऑफिशियली कहा है कि ऐसा लगता है कि 2019 में चीन ने लगातार न्‍यूक्लियर टेस्‍ट किए हैं।

– US डिपार्टमेंट ऑफ स्‍टेट की यह रिपोर्ट वहां के न्‍यूजपेपर ‘वॉल स्‍ट्रीट जर्नल’ में पब्लिश हुई, तो पूरी दुनिया टेंशन में आ गई है।
– दूसरी ओर चीन ने अमेरिका के इस दावे को गलत बताया है। तो इन दोनों में से कोई तो झूठ बोल रहा है।

प्रमुख सवाल-
– अमेरिका के ताजा दावे से India पर क्‍या असर होगा?
– अमेरिका की चीन के प्रति आक्रामकता, दुनिया को कहां ले जाएगी?
– क्‍योंकि इससे पहले न्‍यूक्लियर और बायलॉजिकल वेपंस के झूठे दावे के आधार पर ही एक दशक पहले अमेरिका ने इराक को तबाह कर दिया था, और अभी ईरान पर अभी कई प्रतिबंध लगे हैं।

Details: 

– अमेरिका के स्‍टेट डिपार्टमेंट ने वहां की सरकार को अप्रैल 2020 में रिपोर्ट पेश की है।
रिपोर्ट का नाम: ADHERENCE TO AND COMPLIANCE WITH ARMS CONTROL, NONPROLIFERATION, AND DISARMAMENT AGREEMENTS AND COMMITMENTS
– रिपोर्ट में कहा गया है – ऐसा लगता है कि 2019 में चीन ने लगातार न्‍यूक्लियर टेस्‍ट किए हैं।
– हालांकि रिपोर्ट में इसको लेकर कोई सबूत नहीं दिए गए हैं। न फोटोग्राफ, न वीडियो ओर न कोई गोपनीय डॉक्‍यूमेंट।

– दरअसल, चीन अपनी टेस्टिंग साइट में किसी को जाने नहीं देता है, एक्‍सेस लिमिटेड है।
– इंटरनेशनल मॉनिटरिंग एजेंसी को भी इसके बारे में बहुत ज्‍यादा पता नहीं कर पाई। इस क्षेत्र में वह भी नहीं जा पाता है।

किस जगह पर ये न्‍यूक्लियर टेस्‍ट करने का दावा?
– अमेरिका का आरोप है कि लोप नुर न्यूक्लियर टेस्ट साइट पर बहुत सारे न्‍यूक्लियर टेस्‍ट हुए।
– ये वही जगह है जहां पर चीन ने 1964 से 1996 तक तकरीबन हर साल घोषित रूप से न्‍यूक्लियर बम का टेस्‍ट किया था।

न्‍यूक्लियर टेस्‍ट पर इतना हंगामा क्‍यों?
– तो चीन, अमेरिका सहित कई देशों ने 1996 में CTBT यानी Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty पर सिग्‍नेचर किया हुआ है।
– उसी समय संयुक्‍त राष्‍ट्र ये CTBT लेकर आया था।
– ताकि न्यूक्लियर हथियारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
– अमेरिका का कहना है कि चीन इललीगली धीरे-धीरे अपना न्‍यूक्लियर प्‍लान एक्‍सपेंड कर रहा है।
– बाकि कोई देश ऐसा नहीं कर रहा है, जिसने CTBT पर सिग्‍नेचर किए हैं।
– यहां बता दूं कि भारत ने सीटीबीटी पर सिग्‍नेचर नहीं किया हुआ है।

चीन पर किस तरह के न्‍यूक्लियर टेस्‍ट का शक?
– अमेरिका को चिंता है कि चीन टेस्ट ब्लास्ट्स के लिए बनाई गई ‘जीरो ईल्ड’ की संधि का उल्लंघन कर रहा है।
– जीरो ईल्ड ऐसा न्यूक्लियर टेस्ट होता है जिसमें कोई एक्सप्लोसिव चेन रिएयक्शन नहीं होता है जैसा न्यूक्लियर हथियार के डिटोनेशन पर होता है।
– अमेरिका ने कहा है कि चीन ने जीरोड यील्‍ड स्‍टैंडर्ड को पार कर लिया है।
– हालांकि चीन टेक्निकली कह सकता है कि हमने सीटीबीटी पर साइन तो किया है, लेकिन इसे रेक्‍टीफाई नहीं किया है। इसलिए हमपर कोई सैंग्‍सन नहीं लगेंगे।

चीन ने क्‍या कहा?
– चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि अमेरिका को इस तरह गलत इंफॉर्मेशन नहीं फैलाना चाहिए।

दुनियाभर के न्‍यूक्लियर टेस्‍ट सेंटर की निगरानी?
– अमेरिका सेटेलाइट से कड़ी निगरानी रखता है, भारत पर भी चीन पर भी। फिर भी वह केवल संभावना ही जाहिर कर रहा है चीन में न्‍यूक्लियर टेस्‍ट को लेकर। उसके पास सबूत नहीं हैं।
– चीन पर अमेरिका की नजर बहुत पहले से है। 1964 में जब चीन ने पहली बार परमाणु परीक्षण किया था, उसी समय से अमेरिका निगरानी कर रहा है।
– अमेरिकी खूफिया एजेंसी सीआईए ने तो 1965 में उत्‍तराखंड में नंदा देवी चोटी पर प्‍लूटोनियम युक्‍त डिवाइस स्‍थापित करने की कोशिश की थी। ताकि चीन के न्‍यूक्लियर टेस्‍ट की जानकारी मिल सके।
– लेकिन तूफान की वजह से नंदा देवी चोटी पर यह डिवाइस गायब हो गई, जिसका आज तक पता नहीं चल पाया है।
– उसका खतरा आज तक बना ही हुआ है।

क्‍या है सच्‍चाई?
– अभी जो अमेरिकी रिपोर्ट आई है, और उसके अनुसार हो सकता है कि 2019 में चीन ने न्‍यूक्लियर टेस्‍ट किए हैं। हो सकता है कि इसमें सच्‍चाई या झूठ हो।

प्रेसिडेंट इलेक्‍शन को लेकर तनाव में हैं ट्रंप 
–  यह वक्‍त हमें नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका इस वक्‍त किस दबाव से गुजर रहा है।
– प्रेसिडेंट डोनाल्‍ड ट्रंप अभी तीन महीने पहले तक अमेरिका में बहुत पॉपुलर थे।
– लेकिन अचानक कोराना वायरस ने एक तरह से उन्‍हें कुछ हद तक विलेन बना दिया है।
– 17 अप्रैल की सुबह तक 35 हजार से ज्‍यादा लोगों की मौत सिर्फ अमेरिका में हो चुकी है। यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।
– अमेरिका के तमाम गवर्नर ये आरोप लगा रहे हैं कि ट्रंप ने कोरोना वायरस को ठीक से टेकल नहीं किया, जिसका भयावह परिणाम देखने को मिल रहा है।
– तभी तो ट्रंप ने कोरोना वायरस के बारे में देर से सूचना देने का ठीकरा चीन पर फोड़ा और वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन की फंडिंग बंद कर दी।
– इस साल के अंत में अमेरिका में प्रेसिडेंट इलेक्‍शन होने हैं।
– ऐसे में चीन में न्‍यूक्लियर टेस्‍ट की बात कहना, उनके लिए सूट करता है।

कई बार झूठी निकली है अमेरिकी रिपोर्ट 
– हमें नहीं भूलना चाहिए कि इराक में जैविक और न्‍यूक्लियर हथियार होने की झूठी बात पूरी दुनिया में फैलाकर अमेरिका ने सद्दाम हुसैन की सत्‍ता से बेदखल और फिर फांसी पर चढवा दिया था।
– हाल का उदाहरण ईरान है, जहां न्‍यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर ही तमाम प्रतिबंध वहां पर अमेरिका ने लगा दिए हैं।

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– ताजा मामले में हो सकता है कि चीन झूठ बोल रहा हो, या हो सकता है कि अमेरिका झूठी रिपोर्ट लेकर आया हो।

भारत पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा?
– जिस तरह से WHO की फंडिंग बंद होने पर भारत को ज्‍यादा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, उसी तरह से चीन के मामले में भी इंडिया तटस्‍थ रह सकता है।
– क्‍योंकि कोविड-19 ने वैसे ही भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को बड़ा झटका दिया है, और ऐसे में अगर भारत किसी खेमेबाजी में पड़ता है, तो नुकसान ही होगा।

दुनिया पर क्‍या असर?
– हम देख रहे हैं कि कोरोना वायरस की वजह से पहले से ही दुनिया दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है।
– एक तरह चीन और रूस की मीडिया कोविड-19 को अमेरिका की साजिश बता रहा है, तो दूसरी ओर अमेरिका और उसके साथी देश इसे चीन की सा‍जिश बता रहे हैं।

तो आगे देखते जाइए, कोराना वायरस दुनिया में क्‍या-क्‍या करवाता है।


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Official Report of US Department of State on nuclear test in China: https://www.state.gov/wp-content/uploads/2020/04/Tab-1.-EXECUTIVE-SUMMARY-OF-2020-CR-FINDINGS-04.14.2020-003-003.pdf

आप यूट्यूब चैनल सरकारी जॉब न्‍यूज पर भी करेंट अफेयर्स के वीडियो को देख सकते हैं।


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