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क्या है चीन-भूटान डील?
क्यों अलर्ट मोड पर भारत?
चीन और भूटान ने अपना सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक समझौता किया है जिसमें दोनों देश एक थ्री स्टेप रोडमैप के तहत अपनी बातचीत को आगे बढ़ाएंगे ।
यहां तक तो सब ठीक है । लेकिन जरा गौर से देखिये और सोचिये । एक तरफ तो चीन है जो दुनिया भर में अपना दबदबा चाहता है और इसके लिए बहुत कुछ करता रहता है और दूसरी तरफ है भूटान जैसा भोला भाला, शांत, सुखी और संयमित देश। सिर्फ पौने आठ लाख की जनसंख्या। भारत का ऐसा पड़ोसी जिससे आज तक कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ बल्कि दोनों के आदर्श संबंध रहे हैं यानी आइडियल रिलेशन।
अब क्या है भूटान को लेकर चीन की मंशा?
क्या चीन भूटान और भारत के संबंध बिगाड़ना चाहता है?
क्या वो भारत के खिलाफ किसी नई रणनीति पर काम कर रहा है और सबसे बड़ा सवाल कि क्या चीन ये सब डोकलाम पर कब्जे के लिए कर रहा है जो कि भारत-भूटान सीमा के पास है?
चीन और भूटान का ये नया समझौता है क्या?
चीन और भूटान ने अपने सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक एमओयू यानी मेमोरैंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग पर साइन किए हैं.
ये समझौता ‘थ्री स्टेप रोडमैप’ यानी तीन चरणों का एक खाका है जिससे वार्ता आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी और दोनों के बीच उत्तर और पश्चिम के इलाके में सीमा विवाद है और समझौते से एक स्वीकार्य परिणाम यानी ACCAPTABLE DECISSION पर पहुंचा जा सकेगा।
चीन और भूटान की वार्ताएं-
– वेसे पिछले 37 सालों में दोनों के बीच 24 चरण की वार्ता और दस बार विशेषज्ञ समूह की बैठक हो चुकी है।
– उम्मीद की जा रही है कि इस समझौते के बाद सीमा विवाद को लेकर वार्ता में गति आएगी जो पिछले पाँच सालों से रुकी हुई थी.
– एक तो 2017 में डोकलाम विवाद के कारण और फिर कोरोना महामारी के कारण ऐसा हुआ था.
– ये तो था वो जो हुआ है। अब बारी है इसके निहितार्थ की कि मतलब भूटान के लिए इसके का क्या मायने हैं और भारत-भूटान और भारत-चीन संबंधों पर क्या फर्क पड़ सकता है।
– वैसे इस समझौते के बाद भारत ने बहुत संतुलित प्रतिक्रिया यानी एक बैलेंस्ड रिएक्शन दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि…………..
– हमने इस घटनाक्रम का संज्ञान लिया है अर्थांत जानकारी में आया है । – भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए साल 1984 से बातचीत चल रही है.
– भारत भी इसी तरह से चीन के साथ सीमा को लेकर बातचीत कर रहा है।
– सवाल टाइमिंग का भी है यानी ऐसे वक्त जब भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव है उस वक्त चीन-भूटान का समझौता होना।
– आपको बता दें कि जिस वक्त समझौते को लेकर चीन-भूटान वर्चुअल सेशन चल रहा था उस वक्त उसमें भारत में तैनात चीन और भूटान के राजदूत भी मौजूद थे।
– यह भी खटकता है क्योंकि सीधे तौर पर उन दोनों का इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए था।
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अब आते हैं भारत से जुडे सबसे बड़े संदर्भ यानी कंसर्न पर। समझौते में डोकलाम क्षेत्र का नाम तो नहीं आया है लेकिन भारत की चिंता इसी को लेकर है।
कहीं चीन डोकलाम पाने के लिए भूटान को फुसला तो नहीं रहा है?
डोकलाम सामरिक रूप से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ये भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाले चिकेन नेक गलियारे से लगा हुआ है।
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इंपॉर्टेंट बात ये है कि ये वही डोकलाम क्षेत्र है जिसे लेकर 2017 में चीन और भारत के सैनिक 72 दिन तक आमने-सामने डटे हुए थे और बाद में राजनयिक यानी डिप्लोमेटिक प्रयासों के बाद चीन पीछे हट गया था। हुआ ये था कि चीन ने सड़क का विस्तार करने की कोशिश की थी जिसका भारत और भूटान ने विरोध किया था । भूटान का कहना था कि चीन उसके इलाके में सड़क बना रहा है । यहां से भूटान का हा शहर जो उसका सैनिक मुख्यालय भी है सिर्फ 20 किलोमटर पर और भारत का नाथुला पास सिर्फ 15 किलोमीटर पर स्थित है ।
डोकलाम पर चीन की टेढ़ी नजर रही है।
अब अगर डोकलाम तक उसकी पहुंच हो जाएगी तो फिर वो भारत को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाले चिकन नेक तक अपनी पहुंच आसान बनाने के लिए काम कर सकता है ।
ये कोई महज हाईपोथेटिकल बात नहीं है बल्कि एक बड़ी संभावना है जिसे एक्सप्लोर करने के लिए चीन काम कर रहा है और भारत इससे अपनी सुरक्षा के उपाय कर रहा है । क्योंकि ये चीन, NO ONE IS
चीन के इरादे पर इसलिए भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे पहले वो भूटान से कई इलाकों की अदला-बदली यानी एक्सचेंज की भी बात करता रहा है ठीक उसी तरह जैसे उसने पूर्वी लद्दाख के अक्सई चिन के बदले भारत से अरुणाचल के तवांग को मांगने की एक बार नाकाम चाल चली थी ।
चलिये अब आगामी प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए संभावित प्रश्न लेते हैं ।
चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद हल करने के लिए हाल ही में हुए समझौते का विस्तार से वर्णन करें । भारत के संदर्भ में इस घटनाक्रम की विवेचना करें।