28 फरवरी & 1 मार्च 2025 करेंट अफेयर्स – सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्‍वपूर्ण

यह 28 फरवरी & 1 मार्च 2025 का करेंट अफेयर्स है। सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए डेली करेंट अफेयर्स के सवाल-जवाब यहां बता रहे हैं।

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1. व्हाइट हाउस में ट्रम्प-जेलेंस्की की तीखी बहस कैसे हुई?
– टल गया यूक्रेन-रूस के बीच शांति समझौता
– ट्रंप ने कहा – अब यूक्रेन के साथ मिलकर रूस के खिलाफ नहीं लड़ेंगे

– ट्रम्प और ज़ेलेंस्की के बीच इस बात पर मतभेद हुआ कि यूक्रेनी राष्ट्रपति द्वारा रूस के “हत्यारे” नेता कहे जाने के बाद, उनसे समझौता करने की आवश्यकता है।
– इसके बाद तीखी बहस हो गई, जेलेंस्‍की मीटिंग छोडकर चले गए।
– इसके बाद ट्रंप ने कहा – अब हम यूक्रेन के साथ मिलकर रूस के ख़िलाफ़ नहीं लड़ेंगे।

क्‍यों हुई बहस?
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में 28 फरवरी 2025 को मुलाकात हुई।
– इस दौरान ट्रम्प, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच तीखी बहस हुई।
– दोनों नेताओं के बीच करीब 50 मिनट बातचीत हुई। इस दौरान कई ऐसे मौके आए जब नेता एक-दूसरे की तरफ उंगली दिखाते नजर आए।
– व्हाइट हाउस के इतिहास में ऐसा पहली हुआ कि जब दो राष्ट्राध्यक्षों के बीच इतने तनाव भरी बातचीत हुई।
– वेंस ने जेलेंस्की पर अमेरिका का अपमान करने का आरोप लगाया। वहीं, ट्रम्प ने यूक्रेनी राष्ट्रपति को कई बार फटकार लगाई। ट्रम्प ने जेलेंस्की पर आरोप लगाया कि वे तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं।
– इसके बाद नाराज जेलेंस्की बातचीत से उठे और तेज कदमों से बाहर निकलकर अपनी काली SUV में बैठकर होटल के लिए निकल गए। दोनों नेताओं के बीच मिनरल्स को लेकर डील होनी थी, लेकिन यह बातचीत कैंसिल हो गई।

कैसे शुरू हुआ टकराव
– इससे पहले ट्रम्प से बातचीत के दौरान जेलेंस्की ने कहा, ‘शांति की डील में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए।’
– इस पर ट्रम्प ने कहा, ‘हम चाहते हैं ये जंग जल्द से जल्द खत्म हो जाए। उम्मीद है कि हमें ज्यादा सेना नहीं भेजनी पड़ेगी। मैं खनिज समझौते की सराहना करता हूं, क्योंकि हमें उसकी जरूरत थी। हमारे देश के साथ अब उचित व्यवहार किया जा रहा है।’
– ट्रम्प ने कहा, अगर मैंने रूस और यूक्रेन दोनों के साथ तालमेल न रखा होता, तो कोई समझौता संभव ही नहीं होता। मैं न तो पुतिन के साथ हूं, न किसी और के साथ। मैं सिर्फ अमेरिका के साथ हूं।
– ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच लगभग 30 मिनट तक अच्छी बातचीत चली। फिर यह तब बहस में बदल गई जब उपराष्ट्रपति जेडी वेंस बातचीत के बीच में आ गए।
– ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में बैठे हुए श्री ज़ेलेंस्की को फटकार लगाई, उन्हें और अधिक “आभारी” होने के लिए कहा और कहा, “आप यह तय करने की स्थिति में नहीं हैं कि हम क्या महसूस करने जा रहे हैं।”
– ट्रम्प ने यूक्रेनी राष्ट्रपति से कहा कि या तो वे रूस के साथ “समझौता करें” “या फिर हम बाहर हो जाएंगे”। पास बैठे अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी श्री ज़ेलेंस्की पर हमला करते हुए उन्हें “अपमानजनक” कहा।
– बाद में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यूक्रेनी नेता वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ पूर्व में हुई झड़प के लिए माफी मांगने को कहा।
– दूसरी ओर, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हुई असाधारण झड़प के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया।

तीखी बहस के बाद यूरोपीय देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया
– यूक्रेन के यूरोपीय साझेदारों के साथ-साथ अन्य वैश्विक नेताओं ने राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की का समर्थन किया, जबकि व्हाइट हाउस ने दोनों नेताओं के बीच ओवल ऑफिस में उल्लेखनीय टकराव के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की “अमेरिकी प्रथम शक्ति” के लिए समर्थन जताया।
– राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन तब तक रूस के साथ शांति वार्ता में शामिल नहीं होगा जब तक कि उसे किसी अन्य आक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा की गारंटी नहीं मिल जाती।

यूक्रेन की हालत
– – सीनियर जर्नलिस्‍ट ‘प्रकाश के रे’ कहते हैं – यूक्रेन में अधिक उम्र के लोग लड़ाई कर रहे हैं. उन्हें ज़बरदस्ती मोर्चे पर भेजा जा रहा है. बड़ी संख्या में सैनिक लड़ाई से भाग रहे हैं.
– बड़ी संख्या में युवा देश छोड़कर भाग चुके हैं. यूक्रेन की ज़मीन और संपत्ति की बिकवाली लंबे समय से हो रही है. लंपट नव-नाज़ी गिरोहों की हेकड़ी ख़त्म हो चुकी है.
– ऐसे में जेलेंस्की को समझ जाना चाहिए कि अमेरिका और यूरोप ने उन्हें प्यादे के रूप में इस्तेमाल किया है।
– यूरोप तो ख़ुद अमेरिका का पिछलग्गू है, वह क्या आगे मदद कर सकेगा! फ़ादर के सामने नखरे चलते हैं, गॉडफ़ादर के सामने नहीं। कल दुनिया ने फिर यह देखा।

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2. केंद्र सरकार ने सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) का नया चेयरमैन किसे नियुक्‍त किया?

a. अजय त्‍यागी
b. राकेश पासवान
c. तुहिन कांत पांडे
d. अजय कुमार वर्मा

Answer: c. तुहिन कांत पांडे

– केंद्र सरकार ने तुहिन कांत पांडे को SEBI (सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) का चेयरमैन नियुक्‍त किया।
– इससे पहले वह केंद्रीय वित्‍त सचिव के पद पर थे।
– उनका कार्यकाल एक मार्च 2025 से अगले 3 वर्षों के लिए होगा।
– तुहिन कांत पांडे ने माधबी पुरी बुच की जगह ली, जिनका रिटायरमेंट हो गया।

नोट – सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच थी। वह तब विवादों में आ गई थी, जब अमेरिकी कंपनी हिंडनर्ग निसर्च ने अगस्‍त 2024 में रिपोर्ट जारी करके अडाणी ग्रुप के साथ आर्थिक संबंध का दावा किया था।

तुहिन कांत पांडे के बारे में
– तुहिन कांत पांडे ओडिशा कैडर के 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं।
– उन्हें 7 सितंबर 2024 को वित्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था।

सेबी के चेयरमैन का पद
– नए सेबी चीफ को ₹5.62 लाख सैलरी मिलेगी।
– केंद्र सरकार के सेक्रेटरी के बराबर सैलरी और बाकी सुविधाएं मिलेंगी या बिना कार और घर के 5 लाख 62 हजार 500 रुपए हर महीने सैलरी मिलेगी।

SEBI क्‍या है?
– भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI – Security Exchange Board Of India)- भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है।
– यह देश में प्रतिभूति (Security) और कमोडिटी बाजार को नियंत्रित करता है।
– इसकी स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई।
– सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक मान्यता 30 जनवरी 1992 को प्राप्त हुई।
– यह वित्त मंत्रालय के प्रशासनिक क्षेत्र में आता है।

सेबी के काम:
– निवेशकों के हितों की रक्षा करना
– प्रतिभूति बाजार (securities market) के विकास को बढ़ावा देना
– प्रतिभूति बाजार (securities market) से जुड़े विषयों का प्रावधान करना
– मार्केट गतिविधियों की निगरानी और विनियमन (regulating) करना
– विनियमों (egulations) के अनुपालन सुनिश्चित करना
– किसी भी उल्लंघन के मामले में सुधारात्मक उपाय (corrective measures) करना

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3. जर्मनी के नए चांसलर कौन होंगे?

a. ओलाफ शॉल्‍त्‍स
b. आर्मिन लाशेट
c. एनालेना बेयरबोक
d. फ्रेडरिक मर्ज़

Answer: d. फ्रेडरिक मर्ज़

– जर्मनी के विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज़ ने 23 फरवरी, 2025 को राष्ट्रीय चुनाव में विजय प्राप्त की।
– कंजर्वेटिव डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CDU/CSU) गठबंधन ने 28.5% वोट पाकर जीत हासिल की।
– इनसे पहले के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स थे।

फ्रेडरिक मर्ज़
– इनका जन्‍म वर्ष 1965 में उत्तरी राइन-वेस्टफेलिया के पश्चिमी राज्य ब्रिलोन में एक कुलीन राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता एक न्यायाधीश और कंजर्वेटिव डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) के सदस्य थे, जबकि उनके नाना ब्रिलोन के मेयर थे।

कैसे चुना जाता है चांसलर
– हमारे देश की तरह जर्मनी में भी लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था है, लेकिन चांसलर चुनने का तरीका अलग है।
– भारत में चुनाव के पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा जरूरी नहीं है।
– लेकिन जर्मनी में सभी दलों को चांसलर कैंडिडेट का नाम बताना जरूरी है।
– इसी के नाम और चेहरे पर चुनाव लड़ा जाता है।
– अगर उसकी पार्टी या गठबंधन चुनाव जीत जाता है तो उसे बुंडेस्टाग (संसद का निचला सदन) में स्वयं के लिए बहुमत जुटाना होता है।
– अगर किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत हासिल हो जाता है, तो उसकी सरकार बन जाती है।

जर्मनी के बारें में
– जर्मनी, आधिकारिक रूप से जर्मन संघीय गणराज्य, मध्य यूरोप में एक देश है।
– राजधानी: बर्लिन
– चांसलर: फ्रेडरिक मर्ज़
– मुद्रा: यूरो
– आबादी: 8.33 करोड़ (2023)
– पड़ोसी देश: डेनमार्क, पोलैंड, चेक रिपब्लिक, ऑस्ट्रिया, स्‍विट्जरलैंड, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड

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4. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है?

a. 26 फरवरी
b. 27 फरवरी
c. 28 फरवरी
d. 29 फरवरी

Answer: c. 28 फरवरी

2025 की थीम
– विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना।
– Empowering Indian Youth for Global Leadership in Science and Innovation for Viksit Bharat.

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस?
– देश के विकास में वैज्ञानिकों के योगदान को चिह्नित करने के लिए ये दिवस मनाया जाता है।
– यह दिन ‘रमन प्रभाव’ की खोज को समर्पित है।
– 28 फरवरी, 1928 में भारतीय भौतिक विज्ञानी चंद्रशेखर वेंकट रमन ने स्पेक्ट्रोस्कोपी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खोज की, जिसे ‘रमन प्रभाव’ कहा जाता है।
– इसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
– रमन प्रभाव की खोज की वजह से भारत में 1986 से हर वर्ष यह दिवस मनाया जाता है।

रमन प्रभाव क्‍या है?
– जब प्रकाश की किरणें अलग अलग चीजों से टकराती हैं या उनमें से होकर गुजरती है, तो तरंगों के बिखरने के बाद उन पर व उनकी गति पर क्या असर होता है, उनकी खोज यह सब बताती थी।
– स्पेक्ट्रोस्कोपी पदार्थ और विद्युत चुंबकीय विकिरण के मध्य का अध्ययन है।

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5. रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्‍त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा में फरवरी 2025 में तीन प्रस्‍तावों पर मतदान हुआ, जिसमें अमेरिका ने पहली बार रूस का साथ दिया, जबकि भारत सहित कितने देशों ने हिस्सा नहीं लिया?

a. 70
b. 65
c. 55
d. 45

Answer: b. 65

यूक्रेनी प्रस्‍ताव में प्रमुख मांगे
– यूक्रेन ने तीन पृष्ठों का प्रस्ताव पेश किया, जिसमें रूसी सेना को यूक्रेन क्षेत्र से हटाने, “तनाव कम करने, शत्रुता को शीघ्र समाप्त करने और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान करने” तथा “व्यापक, स्थायी और न्यायपूर्ण शांति” की मांग की गई।

– तीन वर्ष से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्‍त करने के लिए 24 फरवरी 2025 को संयुक्‍त राष्‍ट्र में प्रस्‍ताव लाए गए।
– प्रस्‍ताव के पक्ष में 93 देशों ने मतदान किया, विरोध में 18 देशों में मतदान किया। और भारत, चीन और ब्राजील सहित 65 देशों में ने मतदान में भाग नहीं लिया।
– भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने मतदान में भाग नहीं लिया, जबकि भूटान, नेपाल, मालदीव, म्यांमार ने इसके पक्ष में मतदान किया।

इन देशों ने विरोध में मतदान किया
– मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले 18 देशों में रूस, अमेरिका, उत्तर कोरिया, बेलारूस, हंगरी, इजरायल, हैती, बुर्किना फासो, बुरुंडी, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, माली, मार्शल द्वीप, निकारागुआ, नाइजीरिया, पलाऊ, सूडान आदि शामिल थे।

अमेरिका ने अपना एक अलग प्रस्‍ताव पेश किया
– अमेरिका ने भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्‍ताव पेश किया। जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई, लेकिन रूस की आक्रामकता का जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों ने इस प्रस्ताव में संशोधन किया और रूस को आक्रमणकारी घोषित किया, तो अमेरिका ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया।
– संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान करवाया। सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों में से 10 ने अमेरिका के प्रस्ताव का समर्थन किया। और 5 यूरोपीय देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया।
– इससे स्‍पष्‍ट होता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच गहरे मतभेद उभर रहे हैं। अमेरिका अब रूस को सीधे तौर पर दोष देने से बच रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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6. अमेरिका ने ईरानी पेट्रोलियम प्रोडक्‍ट्स की बिक्री और ट्रांसपोर्टेशन में मध्‍यस्‍थरता की वजह से फरवरी 2025 में कितनी भारतीय कंपनियों पर बैन लगाया?

a. 6
b. 5
c. 4
d. 3

Answer: c. 4 (फ्लक्स मैरीटाइम LLP, BSM मैरीन LLP, ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और कॉसमॉस लाइन्स इंक)

– 24 फरवरी 2025 को अमेरिका ने ईरान के पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उद्योग से जुड़ाव के आरोप में दुनिया की कुल 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। इनमें चार भारतीय कंपनियां भी हैं।
– 2024 में भी भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगे थे। गब्बारो शिप सर्विसेज को ईरान के तेल निर्यात में शामिल होने पर प्रतिबंधित किया गया। रूस के प्रोजेक्ट में शामिल होने पर 3 भारतीय शिपिंग कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई।

अमेरिका ने इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया
1- फ्लक्स मैरीटाइम LLP, मुंबई
2- BSM मैरीन LLP, नई दिल्‍ली
3- ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्‍ली
4- कॉसमॉस लाइन्स इंक, तंजावुर

बैन क्‍यों किया गया है?
– इन चार कंपनियों में से तीन को ईरानी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन में कथित रूप से शामिल जहाजों के वाणिज्यिक या तकनीकी प्रबंधक होने के कारण बैन किया गया है, जबकि एक कंपनी, कॉसमॉस लाइन्स, को ईरानी पेट्रोलियम के परिवहन में कथित रूप से शामिल होने की वजह से बैन किया गया है।

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7. वर्ष 2025 में दुर्लभ रोग दिवस कब मनाया गया?

a. 23 फरवरी
b. 24 फरवरी
c. 27 फरवरी
d. 28 फरवरी

Answer: d. 28 फरवरी

2025 की थीम
– आप जितना सोच सकते हैं उससे कहीं अधिक; दुर्लभ अनुभवों का संकलन

– दुर्लभ रोग दिवस हर वर्ष फरवरी के आखिरी दिन मनाया जाता है।
– इसका उद्देश्य दुर्लभ बीमारियों की जागरूकता बढ़ाना है।
– साथ ही दुर्लभ बीमारियों वाले व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधा तक पहुंच बनाना है।
– दुनिया में 35 करोड़ लोग दुर्लभ रोग से पीड़ित हैं।
– सामान्य तौर पर, एक दुर्लभ रोग वह रोग होता है जो किसी देश की आबादी के एक छोटे प्रतिशत को प्रभावित करता है- प्रति 100,000 जनसंख्या पर 100 से कम रोगी।
– भारत में, किसी रोग को दुर्लभ माना जाता है यदि वह 5,000 लोगों में से किसी एक को प्रभावित करता है।

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8. पंजाब की राज्‍य सरकार ने राज्‍य के सभी स्‍कूलों में किस भाषा को मुख्‍य और अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाना अनिवार्य कर दिया?

a. उर्दू
b. हिन्‍दी
c. पंजाबी
d. संस्‍कृत

Answer: c. पंजाबी

– पंजाब सरकार ने फरवरी 2025 में आदेश दिया कि, राज्‍य के सभी स्कूलों में, चाहे वे किसी भी शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हों, पंजाबी को मुख्य और अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाना अनिवार्य है।
– अगर किसी छात्र के प्रमाणपत्र में पंजाबी मुख्य विषय के रूप में शामिल नहीं होगी, तो वह अमान्य माना जाएगा।
– पंजाब लर्निंग ऑफ पंजाबी एंड अदर लैंग्वेजेज एक्ट, 2008 को सख्ती से लागू किया जाएगा।
– नियम का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया गया।
– पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सीबीएसई पर पंजाबी को अपनी कक्षा 10 की क्षेत्रीय भाषा सूची से हटाने का आरोप लगाया।
– उन्होंने इसे पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के खिलाफ “एक सोची-समझी साजिश” बताया।
– हालांकि सीबीएसई ने स्पष्ट किया कि भाषा सूची में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

पंजाब
सीएम – भगवंत मान
गवर्नर – गुलाब चंद कटारिया
राजधानी – चंडीगढ़

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9. किस संस्‍थान ने रेल मंत्रलाय के सहयोग से भारत का पहला हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक विक‍सित किया, जो 422 मीटर लंबा है?

a. IIT कानपुर
b. IIT बॉम्‍बे
c. IIT मद्रास
d. IIT खड़गपुर

Answer: c. IIT मद्रास

– फरवरी 2025 में दर्शकों के लिए आईआईटी-मद्रास में स्थित 422 मीटर लंबे भारत के पहले हाइपरलूप परीक्षण ट्रैक की एक वीडियो क्लिप भी दिखाई गई।
– केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी घोषणा की कि भारतीय रेलवे और आईआईटी-मद्रास वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग व्हीकल तकनीक पर मिलकर काम करेंगे, जिसका वित्तपोषण रेलवे द्वारा किया जाएगा।

350 KM की दूरी 30 मिनट में तय
– यह ट्रैक 422 मीटर लंबा है और एक हाई-स्‍पीड ट्रेन को लगभग निर्वात ट्यूब में 1,000 किमी/घंटा से अधिक की गति से यात्रा करने की अनुमति देता है।
– हाइपरलूप ट्रैक ने दिखया कि लगभग 350 KM की दूरी 30 मिनट में तय कर सकते हैं।
– अगर इसे बड़े पैमाने पर दुनिया में लागू किया जाए, तो इससे यात्री दिल्ली से जयपुर तक (करीब 300 KM) की यात्रा 30 मिनट से भी कम समय तय कर लेंगे।

हाइपरलूप परियोजना शुरू होगी
– केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “422 मीटर का पहला पॉड केवल एक शुरुआत है – यह उन्नत तकनीकों के विकास में अहम भूमिका निभाएगा।” – उन्होंने यह भी घोषणा की कि IIT मद्रास को हाइपरलूप परियोजना पर काम जारी रखने के लिए 1 मिलियन डॉलर का तीसरा अनुदान मिलेगा, इसके पहले दो अनुदान पहले ही दिए जा चुके हैं।
– उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रेलवे हाइपरलूप परियोजना तभी शुरू करेगा, जब तकनीक पूरी तरह से परीक्षण और तैनाती के लिए तैयार हो जाएगी।

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10. बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ से अधिक खर्च होगा

– सीएम नीतीश कुमार ने फरवरी 2025 में प्रगति यात्रा के दौरान बिहार में पर्यटन योजनाओं को मंजूरी दी।
– राज्य के पर्यटन एवं उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि इन परियोजनाओं पर कुल 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जाएगी, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

इन परियोजनाओं को मिली मंजूरी
– मुंगेर के ऋषि कुंड को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. इस योजना की अनुमानित लागत 21 करोड़ 10 लाख रुपये से अधिक है.
– शेखपुरा के बरबीघा में सामस विष्णुधाम मंदिर क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. इस योजना की अनुमानित लागत करीब 14 करोड़ 99 लाख रुपये होगी.
– पटना जिले के दुल्हिन बाजार स्थित उलार सूर्य मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. इस पर 14 करोड़ 98 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे.
– भोजपुर के तरारी प्रखंड अंतर्गत देव गांव स्थित सूर्य मंदिर परिसर को 14 करोड़ 78 लाख 88 हजार रुपये की अनुमानित लागत से विकसित किया जाएगा.
– पटना साहिब स्थित मंगल तालाब को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए 14 करोड़ 05 लाख 37 हजार रुपये की अनुमानित लागत को मंजूरी दी गई है.
– पटना के बाढ़ स्थित उमानाथ मंदिर परिसर में पर्यटक सुविधाओं का विकास किया जाएगा. इस पर अनुमानित लागत 13 करोड़ 89 लाख 79 हजार रुपये होगी.
– जमुई के पतनेश्वर धाम को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. इसके लिए 9 करोड़ 89 लाख 30 हजार रुपए खर्च किए जाएंगे.
– लखीसराय के सतसंडा पहाड़ी पर पर्यटक सुविधाओं के विकास के लिए अनुमानित लागत 6 करोड़ 83 लाख 10 हजार रुपए होगी.

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11. भारतीय मूल की वैज्ञानिक का नाम बताएं, जिसने अमेरिकी टीम का नेतृत्‍व करते हुए ब्‍लैक होल वाली बौनी आकाशगंगाओं की खोज की?

a. सुदेशना सिन्हा
b. सविता सुब्रमण्यन
c. रागा दीपिका पुचा
d. सुनीता नारायण

Answer: c. रागा दीपिका पुचा

– रागा दीपिका पुचा माता-पिता आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले के तेनाली शहर में रहते हैं।
– टाइम्‍स ऑफ इंडिया न्‍यूज के अनुसार यह जानकारी फरवरी 2025 में मिली।

बौनी आकाशगंगाएं क्‍या होती हैं?
– छोटे आकार की आकाशगंगाएं होती हैं. इनमें कुछ अरब तारे होते हैं।
– ये आकाशगंगाएं, बड़ी आकाशगंगाओं की तुलना में कम चमकीली और छोटे आकार की होती हैं.

किस आकार के ब्लैक होल वाली आकाशगंगाएँ
– भारतीय खगोल भौतिक विज्ञानी राग दीपिका पुचा के नेतृत्व में अमेरिका में वैज्ञानिकों की एक टीम ने अब तक के सबसे बड़े नमूनों को खोजा है, जिनमें मध्यम आकार के ब्लैक होल और सक्रिय ब्लैक होल वाली बौनी आकाशगंगाएँ शामिल हैं।
– ये अब तक की ब्लैक होल और बौनी आकाशगंगाओं की गणना से तीन गुना ज़्यादा बताए गए हैं, जिससे बौनी आकाशगंगाओं और ब्लैक होल के विकास को समझने में और भी मदद मिलेगी।
– इस खोज से ब्रह्माण्‍ड के प्रारंभिक ब्‍लैक होल्‍स के विकास के संबंध में गहरी खोज करने के नए अवसर प्राप्‍त हो सकते हैं।

कितनी बौनी आकाशगंगाओं की पहचान
– आंध्र प्रदेश मूल के वैज्ञानिक ने अपनी टीम के साथ 2500 से ज्यादा बौनी आकाशगंगाओं की पहचान की, जिनमें सक्रिय आकाशगंगा नाभिक (AGN – एक्टिव गैलेक्टिक न्‍युक्‍लिअस) हैं।
– अब लगभग 2 प्रतिशत बौनी आकाशगंगाएँ AGN को होस्ट करती हैं, जो पहले के 0.5 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
– इस अध्ययन से यह भी सामने आया है कि वैज्ञानिकों को कम द्रव्यमान वाले, अभी तक अनदेखे ब्लैक होल की कमी महसूस हो रही है।

किस उपकरण से डेटा इकट्ठा किया
– रागा दीपिका पुचा की टीम ने डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट (डीईएसआई) उपकरण से बौनी आकाशगंगाओं का अब तक का सबसे बड़ी जानकारी संकलित की।
– नोयरलैब ने एक बयान बताया कि कि DESI एक अत्याधुनिक उपकरण है जो एक साथ 5,000 आकाशगंगाओं से प्रकाश को कैप्चर करता है।
– इस प्रोजेक्‍ट को अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DOE) के विज्ञान कार्यालय ने फाइनेंस किया है।
– दीपिका की टीम ने डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट (DESI) से मिले शुरुआती डेटा का उपयोग करके, सक्रिय रूप से भोजन करने वाले ब्लैक होल वाली बौनी आकाशगंगाओं का अब तक का सबसे बड़ा डेटा इकट्ठा किया। यह अब तक के सबसे बड़े मध्य-आकार वाले ब्लैक होल उम्मीदवारों का भी सबसे विस्तृत संग्रह है।
– यह पांच वर्षीय प्रोजेक्‍ट अपने चौथे वर्ष में है और परियोजना के अंत तक लगभग 40 मिलियन (4 करोड़) आकाशगंगाओं का अध्ययन किया जा रहा है।

ब्लैक होल क्‍या होता है?
– ब्लैक होल एक ऐसा क्षेत्र होता है जो खगोल (Astronomy) में स्थित होता है और जहाँ गुरुत्वाकर्षण इतना मजबूत होता है कि उसके अंदर किसी भी प्रकार का प्रकाश नहीं जा सकता। ना ही कोई वस्तु बाहर निकल सकती है।
– इसके चारों ओर की जगह इतनी अँधेरी और काली दिखती है कि वह बिल्कुल काला होता है।
– इसी वजह से हम इसे “ब्लैक होल” कहते हैं।
– ब्लैक होल बड़े छोटे दोनों हो सकते हैं।
नोट: अगस्‍त 2022 में नासा ने ब्‍लैक होल के आस-पास की अवाज को रिकॉर्ड किया था।


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