24 मई 2024 करेंट अफेयर्स – सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण

यह 24 मई 2024 का करेंट अफेयर्स है। सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए डेली करेंट अफेयर्स के सवाल-जवाब यहां बता रहे हैं।

PDF Download: Click here

1. माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई सफलता पूर्वक करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही कौन बनी?
Who became the youngest Indian mountaineer to successfully climb Mount Everest?

a. ज्योशना साबर
b. बाबूराम हेंब्रोम
c. पूजा वर्मा
d. काम्या कार्तिकेयन

Answer: d. काम्या कार्तिकेयन

– वह नौसेना अधिकारी कमांडर एस कार्तिकेयन की बेटी हैं और मुंबई के नेवी चिल्ड्रन स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा है।
– उम्र 16 वर्ष की हैं।
– काम्या और उनके पिता कमांडर एस कार्तिकेयन ने 20 मई को माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर या 29,032 फीट) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की।
– भारतीय नौसेना ने कहा कि काम्या कार्तिकेयन ने माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की, वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही बन गई है।
– नौसेना के बयान में कहा गया, “इस उपलब्धि के बाद वह दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की और नेपाल की ओर से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय पर्वतारोही बन गई है।”
– इसके साथ काम्या ने सभी सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के अपने मिशन में छह मील के पत्थर पूरे कर लिए हैं।
– अब उनका लक्ष्य इस दिसंबर में अंटार्कटिका में माउंट विंसन मैसिफ पर चढ़ने का है, ताकि वह ‘7समिट्स चैलेंज’ को पूरा करने वाली सबसे कम उम्र की लड़की बन सके।

————–
2. माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली सबसे उम्रदराज (oldest) भारतीय महिला कौन बनीं?
Who became the oldest Indian woman to conquer Mount Everest?

a. ज्योति रात्रे
b. अरुणिमा चौधरी
c. सोनी कुमारी
d. आशालता सिन्हा

Answer: a. ज्योति रात्रे

– उनकी उम्र 55 वर्ष है।
– ज्योति रात्रे 19 मई 2024 को विश्व की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर पहुंची।
– वह ऐसा करने वाली सबसे उम्रदराज भारतीय महिला बनीं।
– उन्‍होंने दूसरे प्रयास में माउंट एवरेस्‍ट की ऊंचाई पर जाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
– इससे पहले वर्ष 2023 में, खराब मौसम के कारण उन्हें 8,160 मीटर से वापस लौटना पड़ा था।

– ज्‍योति मध्य प्रदेश के भोपाल की रहने वाली हैं, वह एक उद्यमी हैं।
– उन्‍होंने 53 वर्षीय संगीता बहल का 6 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा है।
– 53 वर्षीय संगीता बहल वर्ष 19 मई, 2018 को ‘माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली भारत की सबसे उम्रदराज महिला बनी थीं।
– ज्योति रात्रे ने आइलैंड पीक, एल्ब्रस, किलिमंजारो, माउंट एकॉनकागुआ और कोसियसज़को सहित पाँच महाद्वीपों की सबसे ऊँची चोटियों पर विजय प्राप्त की हुई है।
– उनका लक्ष्य अंटार्कटिका में माउंट विंसन और उत्तरी अमेरिका में डेनाली, जिसे माउंट मैककिनले भी कहा जाता है, पर चढ़ना है।

तामे दुनिया की उम्रदराज महिला
– एवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की सबसे उम्रदराज महिला जापान की 73 वर्षीय तामे वातनबे है।
– वही एवेरेस्ट पर चढ़ने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति जापान के युइचिरो मिउरा है जिन्होंने 80 वर्ष की उम्र यह उपलब्धि हासिल की थी।

—————
3. अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर सबसे ज्‍यादा 30वीं बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का नया रिकॉर्ड किसने बनाया?
Who broke his own record and created a new record of climbing Mount Everest for the 30th time?

a. कामी रीता शेरपा
b. अंग रीता शेरपा
c. लखपा शेरपा
d. शुभम धनंजय

Answer: a. कामी रीता शेरपा

– प्रसिद्ध पर्वतारोही और एवरेस्‍ट मैन के नाम से मशहूर कामी रीता शेरपा ने 22 मई 2024 को रिकॉर्ड 30वीं बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरी की।
– इसके साथ ही उन्‍होंने अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया।
– मई महीने में ही उनकी दुनिया की सबसे ऊंची चोटी (8,849 मीटर या 29,032 फीट) पर दूसरी चढ़ाई है।
– इससे पहले उन्‍होंने 29वीं बार माउंट एवरेस्‍ट पर चढ़ाई 12 मई को की थी, जिसमें उन्होंने विदेशी पर्वतारोही को गाइड किया था।
– एवरेस्‍ट अभियान का आयोजन करने वाले सेवन समिट्स ट्रेक्स अभियान के मिंगमा शेरपा ने कहा है कि कामी रीता शेरपा इस बार अब और चढ़ाई नहीं करेंगे।
– उन्होंने पिछले वर्ष भी दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी।

कामी रीता शेरपा
– 17 जनवरी, 1970 को जन्मे, उन्हें छोटी उम्र से ही चढ़ाई करने का गहरा शौक था और दो दशकों से अधिक समय से वे पहाड़ों पर चढ़ रहे हैं।
– रीता ने पहली बार 13 मई 1994 को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी।
– माउंट एवरेस्ट के अलावा, रीता ने माउंट गॉडविन-ऑस्टेन (K2), माउंट ल्होत्से, माउंट मानसलु और माउंट चो ओयू को भी फतह किया है।

पासंग के नाम भी है रिकार्ड
– कामी रीता के अलावा एवरेस्ट पर सबसे अधिक बार चढ़ने का रिकॉर्ड एक और नेपाली शेरपा पासंग दावा के नाम भी है।
– पासंग 1998 से एवरेस्ट पर चढ़ाई कर रहे हैं, अब तक 27 बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की है।

शेरपा बर्फीले इलाकों की एक जाति
– शेरपा, हिमालय के बर्फीले इलाकों की एक जाति है। इनका मुख्य निवास नेपाल के हिस्से में पड़ने वाला हिमालय का क्षेत्र है। – हालांकि ये भारत और तिब्बत के क्षेत्र में भी पाए जाते हैं। शेरपा तिब्बती भाषा के शब्द शर और पा से मिलकर बना है। इसका मतलब होता है ‘पूरब के लोग’।
– शेरपा को ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने में महारत हासिल होती है, इसलिए ये मुख्यत: माउंट ट्रैकर्स को गाइड करने और उनके सामान को ढोने का काम करते हैं।

—————
4. कौन सा यूरोपीय देश अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का 99वां स्‍थाई सदस्य कौन सा देश बना?
Which European country became the 99th member of the International Solar Alliance (ISA)?

a. लाइबेरिया
b. माली
c. नाइजर
d. स्पेन

Answer: d. स्पेन

– यह जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 22 मई 2024 को दी।
– भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का मेजबान (Host) देश है। इसका हेडक्‍वार्टर गुरुग्राम (हरियाणा) में है।

आईएसए के सदस्य
– अब तक 119 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
– 99 देशों ने पूर्ण सदस्य बनने के लिए जरूरी अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन अनुसमर्थन दस्तावेज का अनुमोदन और जमा कर दिया है।

क्‍या है अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन?
– अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) एक संधि-आधारित अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है. इसका मकसद सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव लाना है. आईएसए का मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में है.
– आईएसए का गठन 30 नवंबर, 2015 को भारत और फ़्रांस ने पेरिस में किया था।
– शुरु में वह देश जो कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच स्थित थे, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सदस्य बनने के पात्र थे।
– बाद में ISA के फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन किया गया जिसके तहत अब संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य इसके सदस्य बन सकते हैं।

ISA का मकसद
– सौर ऊर्जा की कुशल खपत के लिए काम करना
– जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना
– ऊर्जा तक पहुंच को सुविधाजनक बनाना
– ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
– ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देना
– पर्यावरण अनुकूल भविष्य के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना

————–
5. किस भारतीय मूल के वैज्ञानिक को खगोल विज्ञान (astronomy) के लिए अमेरिका का प्रतिष्ठित शॉ पुरस्‍कार 2024 के लिए चुना गया?
Which Indian-origin scientist has been selected for America’s prestigious Shaw Prize for Astronomy for 2024?

a. श्रीनिवास आर कुलकर्णी
b. एमके वेनु बप्‍पू
c. निकोलस केप्‍रीनिकोस
d. पीहू मोहंती

Answer: a. श्रीनिवास आर कुलकर्णी

– भारतीय मूल के खगोलशास्त्री प्रोफेसर श्रीनिवास आर कुलकर्णी को अमेरिका द्वारा प्रतिष्ठित शॉ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
– 12 नवंबर 2024 को हांगकांग में इस सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।
– शॉ फाउंडेशन ने 21 मई को 2024 के शॉ पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की।

प्रोफेसर कुलकर्णी की खोज
– प्रोफेसर कुलकर्णी ने मिलीसेकंड पल्सर, गामा किरण विस्फोट, सुपरनोवा और अन्य खगोलीय पिंडों की खोज की है।
– इसी खोज के लिए यह अवॉर्ड दिया जाएगा।
– श्रीनिवास आर कुलकर्णी कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मेंटेक्नोलॉजी में भौतिकी (physics), गणित और खगोल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हैं।
– उन्‍होंने वर्ष 1978 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से एमएस किया था।
– 1983 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
– वर्ष 2006 से 2018 तक कैलटेक ला स्‍कूल के डायरेक्‍टर भी रहे।

इन्हें दिया जाता है शॉ पुरस्कार
– शॉ पुरस्कार खगोल विज्ञान, जीव विज्ञान (Biology) और चिकित्सा विज्ञान (medical science) और गणितीय विज्ञान (mathematical sciences) के क्षेत्र में अभूतपूर्व खोजों के लिए दिया जाता है।
– इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वैज्ञानिकों को 1.2 मिलियन डॉलर दिए जाते हैं।

————–
6. ताइवान के नए राष्ट्रपति कौन बने?
Who became the new President of Taiwan?

a. केएमटी से होउ
b. वेन-जे
c. लाई चिंग-ते
d. साई इंग-वेन

Answer: c. लाई चिंग-ते (64 वर्षीय) [विलियम लाई के नाम से भी जाना जाता है।]

– लाई चिंग-ते ने 20 मई 2024 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली।
– उन्‍होंने जनवरी 2024 में राष्ट्रपति चुनाव जीता था।
– लाई चिंग और उनकी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DTP) को चीन का कट्टर विरोधी माना जाता है।
– इस जीत के साथ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया।

– लाई चिंग-ते ने 20 मई को अपने भाषण में चीन से अपनी सैन्य धमकी बंद करने का आग्रह किया और ताइवान जलडमरूमध्य में शांति बनाए रखने की बात कही।
– दरअसल, बीजिंग ने बार-बार ताइवान को लेकर अपना क्षेत्र होने का दावा किया है और इस द्वीपीय देश के खिलाफ अपनी सैन्य ताकत से धमकाता रहता है।

चीन ने लाई चिंग-ते को किया अलगाववादी घोषित
– विलियम लाई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, चीन के क्षेत्रीय दावों को खारिज करती है।
– यही वजह है कि चीन ने चुनाव से पहले ही लाई चिंग को अलगाववादी घोषित कर दिया था।
– चीन ने कथित तौर पर ताइवान की जनता को धमकी देते हुए कहा था कि अगर वे सैन्य संघर्ष की स्थिति से बचना चाहते हैं तो उन्हें सही विकल्प चुनना होगा।

ताइवान
असली नाम : Republic of China (ROC)
राष्‍ट्रपति : त्साई इंग-वेन
नव निर्वाचित राष्‍ट्रपति : लाई चिंग-ते
मुद्रा : न्‍यू ताइवान डॉलर
आबादी : 2.9 करोड़

—————
7. चीन ने ‘दंडित’ करने के उद्देश्‍य से मई 2024 में अपने किस पड़ोसी देश घेरकर युद्धाभ्‍यास शुरू किया?
With the aim of ‘punishing’, China started military exercises by encircling which of its neighboring countries in May 2024?

a. जापान
b. वियतनाम
c. फिलिपींस
d. ताइवान

Answer: d. ताइवान

– ताइवान में चीन विरोधी नेता विलियम लाई चिंग-ते के राष्ट्रपति की शपथ के बाद चीन ने 23 मई 2024 को ताइवान को चारों तरफ से घेरकर दो दिन का युद्धाभ्यास किया।
– चीन ताइवान के खिलाफ काफी बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास कर रहा है।
– इससे पहले तक वह सिर्फ ताइवान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता आया है।
– दरअसल, ताइवान में इस साल जनवरी में हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले चीन ने उम्मीदवार लाई चिंग ते को अलगाववादी कहा था। साथ ही ताइवानियों को चेतावनी दी थी कि अगर वे सैन्य संघर्ष से बचना चाहते हैं, तो सही विकल्प चुनें।
– हालांकि, चीन की धमकी के बावजूद ताइवान में चीनी विरोधी नेता लाई चिंग-ते को जीत हासिल हुई।
– उनकी शपथ के बाद चीनी सेना के प्रवक्ता कर्नल ली शी ने कहा था कि ताइवानियों को इसकी सजा मिलेगी।

चीन – ताइवान का विवाद क्‍या और क्‍यों है?
– ताइवान का आधिकारिक नाम Republic of China (ROC) है।
– जबकि चीन का आधिकारिक नाम People’s Republic of China है।
– पहले ताइवान, चीन का हिस्‍सा था। यहां दो मुख्‍य राजनीतिक दल थे- चाइनीज कम्‍युनिस्‍ट पार्टी और कांविंग तान पार्टी।
– चीन के बड़े हिस्‍से पर कांविंग तान पार्टी का कब्‍जा था।
– दोनों पार्टियों एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही थी। इसी को चीन में सिविल वॉर (1927 – 1949) कहा जाता है।
– सिविल वॉर के अंत में चीन के बड़े हिस्‍से पर कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का कब्‍जा हो गया।
– उस वक्‍त कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के लीडर माओ जेडोंग (माओ त्‍से तुंग) थे।
– दूसरी पार्टी कांविंग तान को भागना पड़ा और वे ताइवान पहुंच गए।
– कांविंग पार्टी के लीडर च्‍यांग काई-शेक थे।
– उस वक्‍त कम्युनिस्टों की नौसेना की ताकत न के बराबर थी। इसलिए माओ की सेना समंदर पार करके ताइवान पर नियंत्रण नहीं कर सकी।
– उसी के बाद ताइवान ने खुद को चीन के तौर पर अलग देश घोषित कर दिया। इसके पहले प्रेसिडेंट चांग काई शेक बनें।
– चीन ताइवान पर दावा करता है और कहता है कि वह उसी का एक हिस्‍सा है।
– लेकिन ताइवान खुद को अलग देश बताता है।
– शी जिनपिंग ने 2019 में साफ कर दिया कि वो ताइवान को चीन में मिलाकर रहेंगे। उन्होंने इसके लिए ‘एक देश दो सिस्टम’ का फॉर्मूला दिया। ये ताइवान को स्वीकार नहीं है और वो पूरी आजादी और संप्रभुता चाहता है।

भारत सहित ज्‍यादातर देशों का डिप्‍लोमेटिक संबंध नहीं
– चीन के दबाव में ही भारत सहित ज्‍यादातर देशों का राजनयिक संबंध (Diplomatic relations) ताइवान से नहीं है।
– ताइवान, ज्‍यादातर देशों में दूतावास की जगह ‘ताइपे इकोनॉमिक एंड कल्‍चरल सेंटर’ स्‍थापित करता है। भारत में राजधानी दिल्‍ली के साथ-साथ कई प्रमुख शहरों में यह सेंटर है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र में चीन
– सेकेंड वर्ल्‍ड वॉर के बाद चीन के रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर च्‍यांग काई शेक ने 1945 में यूनाइटेड नेशंस चार्टर पर सिग्‍नेचर किया था।
– इसी दौरान UN सिक्‍योरिटी काउंसिल के पांच परमानेंट मेंबर्स में एक चीन भी बनाया गया।
– वर्ष 1949 में जब च्‍यांग काई-शेक अपने 20 लाख समर्थकों के साथ ताइवान चले गए, तब भी आधिकारिक रूप से ताइवान ही चीन के तौर पर संयुक्‍त राष्‍ट्र में था।
– लेकिन वियतनाम वॉर में जब अमेरिकी सैनिक बुरी तरह फंस गए, तब 1971 में वर्तमान चीन को संयुक्‍त राष्‍ट्र मान्‍यता मिली।
– चूकि चीन और सोवियत संघ वियतनाम में एक गुट को हथियार पहुंचा रहे थे और गुरिल्‍ला युद्ध कौशल में माहिर किया था, इसलिए अमेरिका के लिए हालत खराब हो गई थी।
– माना जाता है कि एक डील के तहत अमेरिका ने चीन को सपोर्ट किया और 1971 में यूनाइटेड नेशंस में ताइवान की जगह वर्तमान चीन को असली चीन की मान्‍यता मिली और सुरक्षा परिषद का स्‍थाई सदस्‍य बना।
– उसी दौरान तत्‍कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्‍सन ने चीन की यात्रा की थी।
– इसके कुछ साल में ही अमेरिका ने चीन के साथ रिश्ते बहाल किए और ताइवान के साथ अपने डिप्लोमैटिक रिश्ते तोड़ लिए।
– तब चीन और अमेरिका के बीच वन चाइना पॉलिसी का एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें अमेरिका ने माना था कि ताइवान चीन का ही हिस्‍सा है।
– हालांकि चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ताइवान को हथियारों की सप्लाई करता रहा।
– अमेरिका भी दशकों से वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता है, लेकिन ताइवान के मुद्दे पर अस्पष्ट नीति अपनाता है।

————–
8. डॉ. पॉल पार्कमैन का निधन 7 मई 2024 को हो गया, उन्‍होंने किस वायरस की पहचान कर वैक्‍सीन बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी?
Dr. Paul Parkman passed away, he played a major role in identifying which virus and making the vaccine?

a. एन1 एच1
b. SARS-CoV-2
c. रूबेला
d. डीईएनवी-1

Answer: c. रूबेला

– डॉ. पॉल का निधन 7 मई 2024 को न्यूयॉर्क के ऑबर्न में उनके घर पर हो गया।
– उनके रिसर्च ने रूबेला के वायरस की पहचान करने और वैक्सीन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
– इसकी वजह से संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में 50 से अधिक वर्षों तक इस बीमारी की महामारी को रोका है।
– पॉल डगलस पार्कमैन का जन्म 29 मई, 1932 को अमेरिका के ऑबर्न शहर में हुआ था।

रूबेला के बारे में
– रूबेला को जर्मन खसरा भी कहा जाता है क्योंकि जर्मन वैज्ञानिकों ने इसे 19वीं शताब्दी में वर्गीकृत किया था।
– इस बीमारी में धब्बेदार और खुजली वाले लाल चकत्ते होती है, प्रेगनेंसी में इसके कारण शिशु शारीरिक और मानसिक हानि के साथ पैदा हो सकते हैं और गर्भपात और मृत शिशु के जन्म का कारण भी बन सकते हैं।
– वर्ष 1964 और 1965 में, रूबेला – एक महामारी थी जो हर छह से नौ साल में फैलती थी – जिसके कारण 11,000 महिलाओं का गर्भपात (Abortion) हो गया।
– वर्ष 2015 में अमेरिका में इस बीमारी को खत्म घोषित कर दिया गया था।
– हालांकि अफ्रीका या दक्षिण पूर्व एशिया में अभी तक वायरस खत्‍म नहीं हुआ है।

रूबेला की पहचान 1960 में हुई
– रूबेला वायरस की पहचान 1960 में पार्कमैन और उनके सहयोगियों तथा थॉमस एच. वेलर के नेतृत्व में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स की एक टीम ने की थी।
– 1966 में, पार्कमैन, डॉ. हैरी एम. मेयर जूनियर और राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान में मौरिस आर. हिलमैन सहित उनके सहयोगियों ने खुलासा किया कि उन्होंने रूबेला को रोकने के लिए एक टीका तैयार कर लिया है।

————–
9. इंग्लिश प्रीमियर लीग (EPL) की लगातार चौथी बार चैंपियन कौन सी टीम बनीं?
Which team became the champion of the English Premier League (EPL) for the fourth consecutive time?

a. वेस्ट हैम यूनाइटेड
b. मैनचेस्‍टर सिटी
c. लीसेस्टर सिटी
d. लिवरपूल

Answer: b. मैनचेस्‍टर सिटी

– मैनचेस्‍टर सिटी ने वेस्ट हैम यूनाइटेड को 3-1 से हराकर ट्रॉफी अपने नाम की।
– इंग्लिश टॉप-फ़्लाइट इतिहास में यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली टीम बन गई।
– 19 मई 2024 को उन्‍होंने यह इतिहास रचा।
– इस टीम ने कुल 8वीं बार EPL की ट्रॉफी जीती है।
– और लगातार चार बार EPL ट्रॉफी जीतने वाली पहली टीम है।
– इंग्लैंड में एतिहाद स्टेडियम फाइनल मैच हुआ।

इंग्लिश प्रीमियर लीग (EPL)
– प्रीमियर लीग एसोसिएशन फुटबॉल क्लबों का एक इंग्लिश पेशेवर लीग है।
– इंग्लिश फुटबॉल लीग सिस्टम के शीर्ष पर यह देश का प्राथमिक फुटबॉल प्रतियोगिता है।
– इस लीग की स्‍थापना वर्ष 1992 में हुई थी।
– इसमें इंग्लैंड की 20 क्लब टीमें भाग लेती हैं।


PDF Download: Click here


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *