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1. यूक्रेन-रूस युद्ध रोकने के लिए अमेरिका और रूस ने पहली बैठक किस देश में की?
In which country did America and Russia hold the first meeting to stop the Ukraine-Russia war?
a. कतर
b. सऊदी अरब
c. दक्षिण अफ्रीका
d. भारत
Answer: b. सऊदी अरब (राजधानी रियाद में मीटिंग हुई)
– यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए यूक्रेन के बिना रूस और अमेरिका के बीच पहले दौर की बैठक 18 फरवरी 2025 को हुई।
– यह मीटिंग सऊदी अरब की राजधानी रियाद में हुई थी।
– इस मीटिंग में न तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को बुलाया गया और न ही उनके प्रतिनिधि को। बताया जाता है कि बाद में उन्हें इसमें इन्वॉल्व किया जाएगा।
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने की बैठक
– अमेरिकी दल : विदेश मंत्री मार्क रुबियो, NSA माइक वाल्ट्ज और मिडिल ईस्ट के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ
– रूसी दल : विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव, रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष चीफ दिमित्री रिबोलोवलेव
सबसे पहले अमेरिका – रूस सुधारेंगे रिश्ते
– इस मीटिंग में रूस-अमेरिका ने सबसे पहले अपने आपसी रिश्ते सुधारने की पहल की।
– इसमें सहमति बनी है दोनों देश जल्द से जल्द अपने दूतावासों को चालू करेंगे।
– यहां स्टाफ की भर्ती करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति न बने।
– यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद 2023 में दोनों देशों ने दूतावास से स्टाफ को निकाल दिया था।
– करीब तीन साल तक दूतावास बंद पड़े थे।
रूस-अमेरिका ने यूक्रेन मुद्दे पर 3 बातों पर सहमति जताई
– यूक्रेन मुद्दे पर शांति समझौते के लिए दोनों देश टीम बनाएंगे। ये टीमें लगातार बातचीत करेंगीं।
– अमेरिका ने कहा कि बैठक का मकसद होगा युद्ध को स्थायी तौर पर खत्म करना।
– अमेरिका ने कहा कि शांति बहाल करने की कोशिशों में किसी न किसी तरह यूक्रेन और यूरोप को भी शामिल किया जाएगा। हम ऐसा हल निकालेंगे जो युद्ध से प्रभावित हर पक्ष को स्वीकार हो।
यूक्रेन रूस युद्ध की स्थिति क्या है?
– तीन वर्ष से युद्ध चल रहा है। इसमें रूस ने यूक्रेन के करीब 20 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर कब्जा कर लिया है।
यूरोप के दखल पर रूस-अमेरिका में नहीं बनी
– अमेरिका ने कहा युद्ध के बाद शांति बहाली की कोई भी गारंटी यूरोप की तरफ से आनी चाहिए।
– यूरोपीय देशों को रक्षा पर खर्च को बढ़ाना होगा।
– इसके जवाब में रूस ने कहा कि यूक्रेन में यूरोपीय सेना तैनात किया जाना मंजूर नहीं है।
– साथ ही यहां NATO का आना रूस के लिए खतरा है।
– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने यह भी कहा है कि वह यूक्रेन की कब्जाई जमीन नहीं लौटाएगा।
यूरोप में ही अवांछित हुआ यूरोप!
– यूक्रेन मसले पर सऊदी अरब में हो रही अमेरिका-रूस वार्ता में आमंत्रित नहीं किये जाने पर यूरोपीय नेताओं ने पेरिस में बैठक की, जिसमें यूरोपीय संघ और नाटो के प्रमुख भी शामिल हुए. लेकिन इसमें स्लोवाकिया और हंगरी के नेता शामिल नहीं हुए. बताया जा रहा है कि इस बैठक में कोई आम सहमति नहीं बनी है.
– विदेश मामलों के विशेषज्ञ प्रकाश के रे कहते हैं कि यह दिलचस्प है कि कभी दुनिया पर राज करने वाले और ज्ञान-विज्ञान में अग्रणी रहने वाला यूरोप आज हाशिये पर चला गया है. इन नेताओं की लोकप्रियता अपने देशों में गोते खा रही है. इन्होंने पूर्ववर्ती अमेरिकी नेताओं की शह पर यूक्रेन मसले को युद्ध तक पहुँचाया. अब उसी अमेरिका ने इन्हें कह दिया कि अपना देख लो, अमेरिका के भरोसे न रहो.
– कुछ दिन पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि यूरोप के नेता बहुत जल्दी पूँछ हिलाते हुए अपने मालिक अमेरिका के पैरों में गिरेंगे. कल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री के अनुरोध पर वे उनसे मिलने के लिए तैयार हुए हैं. बहरहाल, देखना यह है कि अमेरिका-रूस वार्ता का क्या नतीजा होता है.
रूस बोला- जरूरत पड़ी तो पुतिन जेलेंस्की से बात करने को तैयार
– इससे पहले, बैठक के दौरान रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा है कि अगर जरूरी हुआ तो राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत के लिए तैयार हैं। हालांकि, सवाल ये है कि क्या जेलेंस्की सही मायनों में यूक्रेन के राष्ट्रपति हैं?
– क्रेमलिन प्रवक्ता ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि रूस, यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन में शामिल होने के खिलाफ नहीं है। रूस इस संगठन को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा नहीं मानता है। यह यूक्रेन को तय करना है कि वह यूरोपियन यूनियन में शामिल होना चाहता है या नहीं। इस संगठन का हिस्सा बनना किसी भी देश का ‘संप्रभु’ अधिकार है। लेकिन NATO जैसे रक्षा संगठनों के मामले में हमारे विचार अलग हैं।
सऊदी अरब में ही क्यों हो रही पीस डील?
– इस पीस डील में सऊदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) देश का नेतृत्व करेंगे।
– क्रेमलिन के प्रवक्ता ने कहा सऊदी वो जगह है जो अमेरिका और रूस दोनों के बीस बातचीत के लिए सही है।
– क्राउन प्रिंस के पुतिन और ट्रम्प दोनों से अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं। इस पीस डील में उनके होने में राष्ट्रपति ट्रम्प की बड़ी भूमिका है। दरअसल, ट्रम्प हमेशा से ही क्राउन प्रिंस का समर्थन करते आए हैं।
ट्रंप की कोशिश
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 11 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर जंग खत्म करने को लेकर बातचीत की। ट्रम्प की पुतिन से लगभग डेढ़ घंटे बातचीत हुई। दोनों नेता एक-दूसरे के देशों का दौरा करने पर सहमत हुए।
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क्या यूक्रेन अमेरिका का आर्थिक उपनिवेश बनेगा?
– ब्रिटिश अख़बार ‘द टेलीग्राफ़’ ख़ुलासा किया है कि अमेरिका ने यूक्रेन को आर्थिक उपनिवेश जैसी स्थिति में रखने का निर्णय कर लिया है।
– अमेरिका ने यूक्रेन के सामने 500 अरब डॉलर (43.48 लाख करोड़ रुपए) के समझौते की योजना रखी है।
– इसमें कहा गया है कि अमेरिका के कर्ज की वापसी के लिए यूक्रेन रेयर अर्थ मैटेरियल्स, तेल, गैस समेत अपने अधिकांश प्राकृतिक संसाधन अमेरिका को प्रबंधित करने के लिए देगा।
– अमेरिका यूक्रेन द्वारा संसाधनों के दोहन से प्राप्त होने वाले आवर्ती राजस्व का 50 प्रतिशत और संसाधनों के भविष्य के मुद्रीकरण के लिए “तीसरे पक्ष को जारी किए गए सभी नए लाइसेंसों” के वित्तीय मूल्य का 50 प्रतिशत लेगा। अमेरिका के पक्ष में “ऐसे राजस्व पर ग्रहणाधिकार” होगा।
– बंदरगाह और बहुत सारे इन्फ़्रास्ट्रक्चर को भी अमेरिका को सौंपना होगा।
– अमेरिका और यूक्रेन का एक संयुक्त निवेश कोष भी बनेगा, ताकि दूसरे देश लाभ न उठा सकें।
– विदेश मामलों के विशेषज्ञ ‘प्रकाश के रे’ कहते हैं कि – रूस से उलझने की शरारत बहुत महँगी पड़ गई- एक बड़ा हिस्सा रूस का हो गया और बचे पर अमेरिका का राज होने जा रहा है।
विश्व युद्धों के समय भी ऐसी शर्तें नहीं थी
– ‘द टेलीग्राफ़’ ने समझौते के प्रारूप के आधार पर लिखा है कि ऐसी शर्त प्रथम विश्व युद्ध में पराजित जर्मनी पर तथा द्वितीय विश्व युद्ध में पराजित जर्मनी और जापान पर भी नहीं लादी गई थीं. और, अमेरिका ने यूक्रेन से कोई युद्ध भी नहीं जीता है।
– इस तरह के इरादे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प पहले व्यक्त कर चुके हैं।
– यूक्रेन के पास क़र्ज़ चुकाने का कोई उपाय नहीं है।
– उस पर अमेरिका के अलावा भी क़र्ज़ हैं।
– अब होगा यह कि कुछ बड़ी कंपनियाँ अमेरिकी सरकार और अन्य देशों/संस्थानों के क़र्ज़ को ख़रीद लेंगी और यूक्रेन पर राज करेंगी।
– यूक्रेन को यूरोप का ब्रेड बास्केट कहा जाता है, तो खेती भी विदेशी कंपनियों के हाथ जायेगी।
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2. देश के किस राज्य में सबसे ज्यादा 11वीं बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया?
In which state of the country, President’s rule was imposed for the 11th time?
a. मिजोरम
b. मणिपुर
c. महाराष्ट्र
d. पंजाब
Answer: b. मणिपुर
– मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफ़ा देने के बाद, 13 फरवरी 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
– हालाँकि भाजपा के पास अभी भी मणिपुर विधानसभा में बहुमत है, लेकिन पार्टी सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं ढूँढ़ पाई।
– मणिपुर में मई 2023 से मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा चल रही है। एन बीरेन सिंह को इस संघर्ष से निपटने के लिए कई पक्षों से आलोचना का सामना करना पड़ा।
देश में सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन
– यह 11वीं बार है जब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, जो किसी भी राज्य में सबसे ज़्यादा है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने के कुछ पिछले उदाहरण क्या हैं?
– 1950 से अब तक भारत में 135 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है।
– यह राष्ट्रपति शासन 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगाया जा चुका है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो राज्य अब अस्तित्व में नहीं हैं। (नोट – वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं।)
सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन लग चुके राज्य
– मणिपुर : 11
– उत्तर प्रदेश : 10
– पंजाब: 9
– जम्मू कश्मीर : 9
– बिहार : 8
– पुदुचेरी : 7
– ओडीशा : 6
– कर्नाटक : 6
– केरल : 6
– गुजरात : 5
– गोवा 5
– पश्चिम बंगाल : 5
कुल अवधि : किन राज्यों में राष्ट्रपति शासन
– जम्मू कश्मीर : 4,668 दिन (12 वर्ष, 9 महीने)
– पंजाब : 3,878 दिन (10 वर्ष, 7 महीने)
– उत्तर प्रदेश : 1,690 दिन (4 साल, 7 महीने)
– मणिपुर : 1,511 से ज्यादा (4 साल 1 महीने से ज्यादा
सबसे लंबी अवधि का राष्ट्रपति शासन
– जम्मू कश्मीर : 18 जुलाई 1990 से 9 अक्टूबर 1996 (6 साल 264 दिन)
– जम्मू कश्मीर : 31 अक्टूबर 2019 से 13 अक्टूबर 2024 (4 साल 348 दिन)
– पंजाब : 11 मई 1987 से 23 फरवरी 1992 (4 साल 288 दिन)
– पुदुचेरी : 28 मार्च 1974 से 2 जुलाई 1977 (3 साल 96 दिन)
राष्ट्रपति शासन क्या है?
– राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 के तहत एक प्रावधान है जिसे राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के मामले में लगाया जाता है।
– ऐसी स्थितियों में, राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट या अन्य इनपुट के आधार पर, राष्ट्रपति राज्य सरकार और राज्यपाल के कार्यों को अपने हाथ में लेने के लिए एक उद्घोषणा जारी कर सकते हैं – प्रभावी रूप से उन्हें केंद्र सरकार को हस्तांतरित कर सकते हैं – और राज्य विधानसभा की शक्तियों को संसद को हस्तांतरित कर सकते हैं।
– राष्ट्रपति की उद्घोषणा को संसद के समक्ष रखा जाना चाहिए, और जब तक दोनों सदनों द्वारा इसकी पुष्टि नहीं हो जाती, यह दो महीने में समाप्त हो जाएगी।
– इसे संसद द्वारा हर छह महीने में अधिकतम तीन साल की अवधि के लिए रिन्यू किया जा सकता है।
– पहले वर्ष के बाद, नवीनीकरण कुछ शर्तों के तहत हो सकता है, जैसे देश या राज्य में आपातकाल घोषित किया जाना, या चुनाव आयोग यह घोषणा करना कि राज्य में चुनाव नहीं हो सकते।
– इसे राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय रद्द किया जा सकता है।
मणिपुर
राजधानी – इम्फाल
राज्यपाल – अजय कुमार भल्ला
पड़ोसी राज्य – नागालैंड, असम, मिजोरम
सीमा से सटा पड़ोसी देश – म्यांमार
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3. जनवरी 2025 में देश में खुदरा मुद्रास्फीति (inflation) कितनी रही?
What was the retail inflation in the country in January 2025?
a. 3.81%
b. 4.31%
c. 5.22%
d. 5.48%
Answer: b. 4.31%
– 12 फरवरी 2025 को जारी आंकडों के अनुसार, जनवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति (inflation) घटकर 4.31% रह गई।
– इसका मुख्य कारण खाद्य पदाथों की कीमत में कमी होना था।
– दिसंबर 2024 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 5.22% थी।
खुदरा महंगाई दर की रिपोर्ट कौन जारी करता है?
– NSO (नेशनल स्टैटिस्टकल ऑफिस) {राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय}
– यह Ministry of Statistics and Programme Implementation (सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियांवयन मंत्रालय) के अंतर्गत है।
कैसे तय होती है खुदरा महंगाई दर
– यह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) से तय होता है।
– इसमें खाद्य सामग्री, फल, कपड़े, जूते, घर, ईंधन, बिजली और अन्य की महंगाई की गणना की जाती है।
– एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
– महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा।
– इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
– महंगाई को नियंत्रित करने के लिए बाजार में पैसों के बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है।
– इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रेपो रेट को घटाता या बढ़ाता है।
– जब महंगाई बढ़ जाती है, तो RBI रेपो रेट को बढ़ा देता है और जब महंगाई बेहद कम हो जाती है, तो रेपो रेट को घटा देता है।
– पिछले कुछ वक्त से महंगाई नियंत्रण में बताई जा रही है, इसी वजह से अगस्त में आरबीआई ने लगातार नौवीं बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था।
RBI द्वारा तय महंगाई सीमा
– RBI द्वारा निर्धारित महंगाई सीमा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर 4 प्रतिशत है। हालांकि इसमें दो प्रतिशत घट या बढ़ सकता है।
– इस तरह 2 प्रतिशत से कम महंगाई और 6 प्रतिशत से अधिक महंगाई देश के आर्थिक विकास के लिए ठीक नहीं है।
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4. भारत की थोक महंगाई दर जनवरी 2025 में कितनी थी?
What was India’s wholesale inflation rate in January 2025?
a. 2.31%
b. 1.84%
c. 1.89%
d. 2.37%
Answer: a. 2.31%
– जनवरी 2025 में थोक मूल्य मुद्रास्फीति बढ़कर 2.31 प्रतिशत हो गई, जिसका कारण ताजा फसल के आने से खाद्य कीमतों में कमी तथा ईंधन की दरों का नियंत्रण रहना है।
– दिसंबर 2024 में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2.37% प्रतिशत थी।
थोक महंगाई दर की रिपोर्ट किसने जारी की
– Department for Promotion of Industry and Internal Trade (DPIIT)
– यह Ministry of Commerce and Industry के अंतर्गत है।
(नोट – खुदरा महंगाई दर NSO जारी करता है।)
थोक महंगाई दर क्या होती है?
– यह महंगाई दर, थोक मूल्य सूचकांक (WPI – होलसेल प्राइस इंडेक्स) के आधार पर तैयार होती है।
– होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) या थोक मूल्य सूचकांक का मतलब उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।
– ये कीमतें थोक में किए गए बिजनेस से जुड़ी होती हैं।
(नोट – खुदरा महंगाई दर, कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स से तय होता है)
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर : पीयूष गोयल
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5. राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस कब मनाया जाता है?
When is National Productivity Day celebrated?
a. 12 फरवरी
b. 13 फरवरी
c. 15 फरवरी
d. 18 फरवरी
Answer: a. 12 फरवरी
वर्ष 2025 की थीम:
– विचारों से प्रभाव तक: प्रतिस्पर्धी स्टार्टअप के लिए बौद्धिक संपदा की सुरक्षा
– From Ideas to Impact: Protecting Intellectual Property for Competitive Startups
– राष्ट्रीय उत्पादकता दिवस राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC – National Productivity Council ) की स्थापना की याद में मनाया जाता है।
– इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1960 के तहत 12 फरवरी, 1958 को रजिस्टर्ड किया गया था।
– यह एक स्वायत्त निकाय है जिसे भारत की उत्पादकता संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
– यह दिन भारत जैसे विकासशील देश में बहुत महत्वपूर्ण है, जहाँ उद्यमिता और स्टार्टअप बढ़ रहे हैं।
– साथ ही, यह संगठनों और सरकारों को आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धी उद्योगों के निर्माण, नवाचार को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक सफलता के लिए बौद्धिक संपदा (आईपी) की सुरक्षा के लिए उत्पादकता-केंद्रित तरीकों को अपनाने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।
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6. राष्ट्रीय उत्पादकता सप्ताह कब मनाया जाता है?
When is National Productivity Week celebrated?
a. 14-20 फरवरी
b. 11-17 फरवरी
c. 12-18 फरवरी
d. 10-17 फरवरी
Answer: c. 12-18 फरवरी
– हर साल 12 से 18 फरवरी तक उत्पादकता सप्ताह और 12 फरवरी को उत्पादकता दिवस मनाया जाता है।
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7. विश्व यूनानी दिवस कब मनाया जाता है?
When is World Unani Day celebrated?
a. 10 फरवरी
b. 11 फरवरी
c. 12 फरवरी
d. 13 फरवरी
Answer: b. 11 फरवरी
2025 की थीम
– Innovations in Unani Medicine for Integrative Health Solutions – A Way Forward.
– एकीकृत स्वास्थ्य समाधान के लिए यूनानी चिकित्सा में नवाचार – आगे की राह।
– प्रसिद्ध यूनानी विद्वान मोहम्मद अजमल खान (हकीम अजमल खान) की जयंती पर 11 फरवरी को यह दिवस मनाया जाता है।
– इस दिवस को भारत सरकार के AYUSH (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रालय ने घोषित किया हुआ है।
– पहला विश्व यूनानी दिवस 11 फरवरी 2017 को आयोजित हुआ था।
– यह दिन यूनानी चिकित्सा पद्धति को मुख्यधारा में बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
केंद्रीय AYUSH मंत्री : प्रतापराव गणपतराव जाधव (वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं और उनके पास आयुष मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार है)
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8. USA ने फरवरी 2025 में किस इंटरनेशनल कोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया?
USA imposed sanctions on which International Court in February 2025?
a. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ)
b. इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट (ICC)
c. यूरोपीयन कोर्ट ऑफ जस्टिस
d. परमानेंट कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल जस्टिस
Answer: b. इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट (ICC)
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 6 फरवरी 2025 को इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट (ICC) पर प्रतिबंध लगाया है।
– अमेरिका ने यह निर्णय इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट के खिलाफ ICC द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट की वजह से लिया।
– ICC ने 21 नवंबर 2024 को गाजा में युद्ध अपराध, मानवाधिकार का उल्लंघन और नरसंहार के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
किनके खिलाफ ICC का गिरफ्तारी वारंट
– प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू
– पूर्व रक्षा मंत्री योव गैलेंट
– हमास के पूर्व कमांडर मोहम्मद दाइफ
इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट (ICC) के बारे में
– मुख्यालय : द हेग, नीदरलैंड
– यह अदालत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) से अलग है।
– प्रेसिडेंट : टोमोको अकाने
– स्थापना : 1 जुलाई 2002
– यह कोर्ट, इंटरनेशनल ट्रीटी ‘रोम स्टैचूट ऑफ द इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट’ के तहत बना, जो 17 जुलाई 1998 को साइन किया गया था)
– सदस्य देश : 123. इनमें से 31 देश ऐसे हैं, जिन्होंने रोक समझौते पर दस्तखत तो किए, लेकिन इसे मान्यता नही दी।
– अमेरिका, रूस और यूक्रेन इन 31 देशों में शामिल है। इसलिए ये ICC के सदस्य नहीं हैं।
– भारत और चीन ने रोम संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया, इसलिए ICC के सदस्य नहीं हैं।
ICC के अधिकार क्षेत्र
– केवल उन्हीं देशों में जिसने ‘रोम स्टैचूट ऑफ द इंटरनेशन क्रिमनल कोर्ट’ ट्रीटी पर साइन और रेटिफाई किया हुआ है।
– कुल सदस्य देश 123 हैं।
नोट – भारतीय नागरिक जस्टिस दलवीर भंडार ICC के जज हैं।
किस तरह के अपराध के लिए ICC
(1) नरसंहार
(2) मानवता के खिलाफ अपराध
(3) युद्ध अपराध
(4) आक्रामकता का अपराध
(genocide, crimes against humanity, war crimes, and the crime of aggression)
– ICC के चीफ प्रॉसिक्यूटर करीम खान ने कहा है कि नेतन्याहू और इजराइल के रक्षा मंत्री पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर इजराइली सेना को फिलिस्तीनी नागरिकों को टारगेट करने का आदेश दिया। उन्होंने गाजा में मानवीय मदद को पहुंचने से रोका, जिससे वहां भुखमरी के हालात बन गए।
– इसके अलावा नेतन्याहू ने जंग के बहाने फिलिस्तीनियों की हत्याएं करवाईं और गाजा को तबाह करने की कोशिश की।
वारंट जारी होने पर क्या गिरफ्तार होंगे नेतनयाहू?
– इंटरनेशनल क्रिमनल कोर्ट (ICC) गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकता है लेकिन उसके पास गिरफ्तारी की शक्तियां नहीं हैं।
– इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है।
– ICC का ये वारंट सदस्य देशों के लिए सलाह की तरह होता है और वो इसे मानने के लिए बाध्य नहीं होते हैं।
– इसकी वजह यह है कि हर संप्रभु देश अपने आतंरिक और विदेश मामलों में नीति बनाने के लिए स्वतंत्र होता है।
– अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरह ही ICC भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है।
– इससे पहले मार्च 2023 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ भी गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था, लेकिन वह बेअसर रहा।
– रूस ने दस्तखत नहीं किए हैं। इसलिए पुतिन की गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
नेतन्याहू बोले- वारंट मेरे नहीं बल्कि पूरे इजराइल के खिलाफ है
दूसरी तरफ नेतन्याहू ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेतुका और झूठा बताया। उन्होंने कहा कि अगर वारंट जारी होता है तो ये सिर्फ एक नेता नहीं बल्कि पूरे इजराइल के खिलाफ होगा।
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9. अमेरिका ने फरवरी 2025 में किन संगठनों से बाहर निकलने की घोषणा की?
From which organisations did the US announce its exit in February 2025?
a. UNHRC
b. UNRWA
c. UNDP, UNIDO
d. a और b दोनों
Answer: d. a और b दोनों (UNHRC, UNRWA)
UNHRC : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
UNRWA : संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी
– अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 4 फरवरी 2024 को घोषणा कि की वह UNHRC (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद) और UNRWA (संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी) दोनों से हट रहा है।
– अमेरिका, UNHRC का सदस्य देश रहा है. हालांकि, ट्रंप प्रशासन के दौरान साल 2018 में अमेरिका UNHRC से हट गया था.
– इसके बाद, साल 2021 में जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका फिर से UNHRC का सदस्य बना और जनवरी 2025 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद फिर से बाहर हो गया।
– इसके अलावा 60 साल से ज्यादा समय तक अमेरिका UNRWA का एक मजबूत भागीदार रहा है।
नोट – अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2025 में खुद को WHO से बाहर कर लिया है।
अमेरिका बाहर क्यों हुआ?
– अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 4 फरवरी 2024 को घोषणा की कि वह UNHRC (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद) और UNRWA (संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी) दोनों से हट रहा है।
– जिन पर उन्होंने हमास को वित्त पोषण करने का आरोप लगाया था।
– ट्रम्प ने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आज दोपहर अमेरिका ने यहूदी विरोधी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से खुद को बाहर कर लिया है और संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी को सभी प्रकार का समर्थन बंद कर दिया है, जो हमास को पैसा देती थी और जो मानवता के खिलाफ थी।”
UNHRC : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
– यह यूनाइटेड नेशंस सिस्टम का एक इंटर-गवर्नमेंटल बॉडी (निकाय) है।
– UN के किस ऑर्गन का हिस्सा : UNGA
– जिम्मेदारी : दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण को मज़बूत करना।
– स्थापना वर्ष : 2006 (इसने मानवाधिकार पर पूर्व संयुक्त राष्ट्र आयोग का स्थान लिया था।)
– मुख्यालय : जेनेवा, स्वीट्जरलैंड
– सचिवालय का नाम : Office of the United Nations High Commissioner for Human Rights (OHCHR)
– कुल सदस्य देश : 47
– अब तक कितने देश UNHRC से निलंबित हुए : 2 देश (2011 में लीबिया और 2022 में रूस)
– रूस पर आरोप : यूक्रेन में रूसी सेना का मानवाधिकार हनन।
UNRWA : संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी
– 1948 के अरब-इजराइल संघर्ष के बाद, फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए प्रत्यक्ष राहत और कार्य कार्यक्रम चलाने के लिए 8 दिसंबर 1949 को संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प 302 (IV) द्वारा UNRWA की स्थापना की गई थी।
– निकट पूर्व में फिलिस्तीन शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) का मिशन जॉर्डन, लेबनान, सीरिया, गाजा पट्टी और पूर्वी येरुशलम सहित पश्चिमी तट में फिलिस्तीन शरणार्थियों की मदद करना है, ताकि वे अपनी दुर्दशा का उचित समाधान होने तक मानव विकास में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें।
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10. अमेरिका के बाद किस देश ने UNHRC (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद) से बाहर निकलने की घोषणा की?
After America, which country announced its withdrawal from UNHRC (United Nations Human Rights Council)?
a. इजराइल
b. भारत
c. इंडोनेशिया
d. चीन
Answer: a. इजराइल
– अमेरिका की घोषणा के एक दिन बाद 5 फरवरी 2024 इजरायल ने भी UNHRC (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद) से बाहर निकलने की घोषणा कर दी।
– इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन ने कहा, “इजरायल संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ जुड़ता है और यूएनएचआरसी में भाग नहीं लेगा।”