यह 10 अगस्त 2025 का करेंट अफेयर्स है। सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए डेली करेंट अफेयर्स के सवाल-जवाब यहां बता रहे हैं।
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1. देश के 15वें उपराष्ट्रपति का चुनाव किसने जीता?
Who won the election of the 15th Vice President of the country?
a. सुदर्शन रेड्डी
b. CP राधाकृष्णन
c. वेंकैया नायडु
d. इनमें से कोई नहीं
Answer: b. CP राधाकृष्णन

– 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति का चुनाव CP राधाकृष्णन ने जीत लिया।
– वह NDA के उम्मीदवार थे। उनके सामने थे INDIA कैंडिडेट सुदर्शन रेड्डी (सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज)।
– CP राधाकृष्णन को प्रथम वरीयता के 452 वोट मिले।
– जबकि INDIA कैंडिडेट सुदर्शन रेड्डी को प्रथम वरीयता के 300 वोट मिले।
– राधाकृष्णन ने 152 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
– मतदान में 788 में से 767 (98.2%) सांसदों ने वोट डाला।
– 15 वोट अमान्य करार दिए गए।
– चुनाव में कम से कम 14 विपक्षी सांसदों के NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की अटकलें हैं।
14वें उपराष्ट्रपति
– इससे पहले 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ थे।
– उन्होंने 21 जुलाई 2025 को खराब सेहत का हवाला देकर उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था।
– उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।
15वें उपराष्ट्रपति CP राधाकृष्णन के बारे में
– सीपी राधाकृष्णन का पूरा नाम चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन है।
– जन्म : 20 अक्टूबर 1957
– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं।
– 1998 और 1999 में कोयंबटूर से सांसद बने।
– राधाकृष्णन एक बार केंद्रीय मंत्री बनने के बेहद करीब थे। लेकिन एक जैसे नाम के कारण पार्टी प्रबंधकों से चूक हुई और एक अन्य नेता पोन राधाकृष्णन को पद सौंप दिया गया।
– 2004 से 2007 तक तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष रहे।
– 2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कोयर बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। उनके कार्यकाल में भारत का कोयर निर्यात रिकॉर्ड 2,532 करोड़ रुपए तक पहुंचा। (नोट – कोयर, नारियल के बाहरी रेशेदार छिलके से प्राप्त एक प्राकृतिक, बहुमुखी और पर्यावरण-अनुकूल फाइबर है, जिसका उपयोग रस्सी, चटाई, ब्रश, असबाब और बागवानी उत्पादों के निर्माण में होता है)
– 2023 में झारखंड के राज्यपाल बने। (अतिरिक्त प्रभार : तेलंगाना राज्यपाल और पुदुचेरी उपराज्यपाल)
– 2024 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बने।
– सितंबर 2025 में उपराष्ट्रपति चुनाव जीते।
उपराष्ट्रपति से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
– अनुच्छेद 63 : भारत में एक उपराष्ट्रपति होगा।
– अनुच्छेद 64 : उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष (Chairman of Rajya Sabha) होंगे।
– अनुच्छेद 65 : राष्ट्रपति के पद रिक्त होने या अनुपस्थिति/असमर्थता की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेंगे।
– अनुच्छेद 66 : उपराष्ट्रपति का चुनाव और उससे संबंधित प्रावधान
– अनुच्छेद 67 : उपराष्ट्रपति का कार्यकाल – 5 वर्ष (जब तक राष्ट्रपति के उत्तराधिकारी को पदभार न सौंप दें)।
– अनुच्छेद 68 : उपराष्ट्रपति के चुनाव में रिक्ति भरने की प्रक्रिया।
– अनुच्छेद 71 : चुनाव से संबंधित विवादों का निर्णय सुप्रीम कोर्ट करेगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
1) निर्वाचन मंडल (Electoral College)
– उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यगण (लोकसभा + राज्यसभा, निर्वाचित और मनोनीत दोनों) मिलकर करते हैं।
– इसमें राज्य विधानसभाओं की कोई भूमिका नहीं होती (राष्ट्रपति चुनाव के विपरीत)।
2) मतदान की पद्धति
– चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System – STV) से प्रतिनिधिक अनुपातात्मक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) के आधार पर होता है।
– मतदान गुप्त मतपत्र (Secret Ballot) द्वारा कराया जाता है।
3) योग्यता (Qualifications) : उपराष्ट्रपति बनने के लिए व्यक्ति को –
– भारत का नागरिक होना चाहिए।
– कम से कम 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
– राज्यसभा का सदस्य बनने की पात्रता होनी चाहिए।
– कोई लाभ का पद (Office of Profit) धारण नहीं करना चाहिए।
4) नामांकन
– उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए कम से कम 20 सांसद प्रस्तावक और 20 सांसद अनुमोदक (seconder) चाहिए।
– एक निश्चित सुरक्षा राशि (Security Deposit) जमा करनी होती है।
5) चुनाव अधिकारी
– उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) कराता है।
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कार्यकाल और पद से हटाना
– कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन पुनः निर्वाचित हो सकते हैं।
– कार्यकाल समाप्त होने के बाद उत्तराधिकारी पदभार ग्रहण न करे तब तक वे पद पर बने रहते हैं।
पद से हटाना (Removal):
– संविधान में उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया दी गई है।
– केवल राज्यसभा में सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव (Resolution) लाया जा सकता है और विशेष बहुमत (Effective majority) {निर्वाचित/जीवित सदस्यों की कुल संख्या पर आधारित} से पारित करना होता है।
– इसके बाद प्रस्ताव को लोकसभा में साधारण बहुमत से अनुमोदित करना होता है।
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2. फ्रांस में दो साल में चौथे प्रधानमंत्री को पद छोड़ना पड़ा, सितंबर 2025 में संसद ने किस PM को पद से हटा दिया?
In France, the fourth Prime Minister had to resign in two years, which PM was removed from office by the Parliament in September 2025?
a. इमैनुएल मैक्रों
b. सेबेस्टियन लेकोर्नु
c. मिशेल बार्नियर
d. फ्रांस्वा बायरू
Answer: d. फ्रांस्वा बायरू
– फ्रांस की संसद में 9 सितंबर 2025 को फ्रांस्वा बायरू के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद नया राजनीतिक संकट खड़ा हो गया।
– उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
– फ्रांस में दो साल में पांचवें और एक साल में चौथे प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जरूरत पड़ गई।
– फ्रांस्वा बायरू नौ माह पहले प्रधानमंत्री बने थे।
– उनके बजट प्रस्तावों और तेज़ी से बढ़ते क़र्ज़ से सांसद नाराज़ थे।
– दक्षिणपंथी संसदीय चुनाव की माँग कर रहे हैं, तो वामपंथी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के इस्तीफ़े की।
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3. फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने सितंबर 2025 में किसे फ्रांस का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया?
Who has been appointed by the French President as the new Prime Minister of France in September 2025?
a. इमैनुएल मैक्रों
b. सेबेस्टियन लेकोर्नु
c. मिशेल बार्नियर
d. फ्रांस्वा बायरू
Answer: b. सेबेस्टियन लेकोर्नु

– राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने करीबी सहयोगी सेबेस्टियन लेकोर्नू को 9 सितंबर 2025 को फ्रांस का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
– यह घोषणा विश्वास मत के बाद फ्रांस्वा बायरू को सरकार के प्रमुख पद से हटाए जाने के 24 घंटे बाद की गई है।
– लेकोर्नू 39 वर्ष के हैं।
– चूकि संसद में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को बहुमत नहीं है, इसलिए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को पद पर बनाए रखने के लिए विपक्षी दलों से संपर्क करना पड़ा है।
फ्रांस में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति में क्या फर्क है
– फ्रांस का राष्ट्रपति = राष्ट्र का चेहरा, विदेश नीति और रक्षा का मुखिया।
– फ्रांस का प्रधानमंत्री = सरकार का चालक, संसद को जवाबदेह, आंतरिक नीति और प्रशासन का प्रमुख
फ्रांस में “सेमी-प्रेसीडेंशियल सिस्टम” क्या है?
– फ्रांस में “सेमी-प्रेसीडेंशियल सिस्टम” (Semi-Presidential System) चलता है, जिसे वहाँ Fifth Republic (1958 से लागू) के संविधान ने स्थापित किया। इस कारण वहाँ राष्ट्रपति (President) और प्रधानमंत्री (Prime Minister) दोनों होते हैं, और दोनों के बीच शक्तियों का बँटवारा साफ़ है।
– यहां मुख्य कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति के पास है और प्रधानमंत्री उनके निर्देश पर काम करते हैं।
राष्ट्रपति (President of France)
– जनता सीधे चुनाव करती है (5 साल का कार्यकाल) → यानी राष्ट्रपति की वैधता सबसे मज़बूत होती है।
– राष्ट्रपति ही Head of State (राज्य का प्रमुख) है।
मुख्य भूमिकाएँ:
– विदेश नीति (Foreign Policy) और रक्षा (Defence) पर नियंत्रण।
– फ्रांस के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर।
– अंतरराष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर और देश का प्रतिनिधित्व।
– प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं (लेकिन नेशनल असेंबली का बहुमत देखते हुए)।
– नेशनल असेंबली (लोकसभा जैसी) को भंग कर सकते हैं।
– आपातकाल की स्थिति में विशेष शक्तियाँ।
प्रधानमंत्री (Prime Minister of France)
– राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, लेकिन शर्त यह कि नेशनल असेंबली (Assemblée Nationale) में जिनकी पार्टी/गठबंधन का बहुमत है, उसी का नेता प्रधानमंत्री बनता है।
– प्रधानमंत्री ही Head of Government (सरकार का प्रमुख) है।
मुख्य भूमिकाएँ:
– संसद (Parliament) को जवाबदेह।
– देश की आंतरिक नीतियों (Domestic Policy) का संचालन।
– कानून लागू कराना और प्रशासन चलाना।
– सरकारी विभागों/मंत्रालयों का कामकाज देखना।
– राष्ट्रपति के आदेशों और कानूनों को लागू करना।
“कोहैबटैशन” (Cohabitation) स्थिति
– अगर राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली में बहुमत वाली पार्टी अलग-अलग हों, तो राष्ट्रपति को विपक्षी बहुमत का प्रधानमंत्री नियुक्त करना पड़ता है।
– इस स्थिति को फ्रेंच राजनीति में “कोहैबटैशन” (Cohabitation) कहते हैं।
– ऐसे में राष्ट्रपति विदेश नीति संभालते हैं और प्रधानमंत्री आंतरिक नीति।
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4. 102 वर्ष की उम्र में जापान के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट फूजी पर चढ़ने वाले सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति कौन बने?
Who became the oldest person to climb Japan’s highest mountain Mount Fuji at the age of 102?
a. कोकिची अकुजावा
b. रोजन कुचालू
c. रॉबर्ट सिनोली
d. हिमाची टेकुची
Answer: a. कोकिची अकुजावा
– 102 वर्षीय कोकिची अकुजावा ने 5 अगस्त 2025 को माउंट फूजी पर चढ़ने वाले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
– माउंट फूजी जापान का सबसे ऊंचा पर्वत है।
– माउंट फ़ूजी की ऊचाई : 3,776 मीटर
– कोकिची अकुजावा ने तीन महीने प्रशिक्षण लिया।
– तैयारी की शुरुआत घंटों लंबी पैदल यात्रा से की और पहाड़ी नागानो प्रान्त में हर हफ्ते एक पहाड़ पर चढ़ाई की।
जापान
– राजधानी – टोक्यो
– मुद्रा – येन
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5. अंतर्राष्ट्रीय दान दिवस (International Day of Charity) कब मनाया जाता है?
When is International Day of Charity celebrated?
a. 03 सितंबर
b. 04 सितंबर
c. 05 सितंबर
d. 06 सितंबर
Answer: c. 05 सितंबर
– मदर टेरेसा के निधन की वर्षगांठ पर यह दिवस मनाया जाता है।
– संयुक्त राष्ट्र ने यह दिवस घोषित किया हुआ है।
नोट: – मदर टेरेसा को 1979 में “गरीबी और संकट” से उबरने के संघर्ष में किए गए काम के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
नोट
– मदर टरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को स्कोप्जे (वर्तमान उत्तर मैसेडोनिया) और निधन 5 सितंबर 1997 को कोलकाता में हुआ था।
– 1948 में उन्होंने “Missionaries of Charity” नामक संस्था की स्थापना की।
– उनका उद्देश्य था – गरीब, बीमार, अनाथ और असहाय लोगों की सेवा।
– कोलकाता में उन्होंने निरमल हृदय नामक आश्रयगृह खोला, जहाँ अंतिम समय में बेघर और बीमार लोगों को सम्मानजनक देखभाल मिलती थी।
– उन्होंने कुष्ठ रोगियों, भूख से पीड़ित और अनाथ बच्चों के लिए भी कई केंद्र खोले।
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6. कतर की राजधानी दोहा में किस देश ने एयरस्ट्राइक करके हमास के नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश की?
Which country tried to target Hamas leaders by carrying out an airstrike in Doha, the capital of Qatar?
a. फ्रांस
b. रूस
c. यूएसए
d. इजरायल
Answer: d. इजरायल

– 9 सितंबर 2025 को, इज़राइल ने कतार की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर एक लक्षित हवाई हमला (airstrike) किया।
– यह दोहा में हमास के राजनीतिक नेतृत्व द्वारा एक अमेरिकी मध्यस्थता प्रस्ताव (गाजा में युद्धविराम एवं बंधकों की रिहाई) पर विचार-विमर्श के दौरान हुआ था।
नोट – क़तर में अमेरिका का बड़ा सैनिक अड्डा है. कुछ महीने पहले ही क़तर के शेख़ ने ट्रम्प को बड़ा जहाज़ गिफ़्ट किया था और खरबों डॉलर के निवेश का वादा किया था। दोहा में हमास नेता अमेरिका के ही प्रस्ताव पर विचार कर रहे थे। वहीं पर हमला हुआ।
लक्ष्य और परिणाम
– हमले का लक्ष्य हमास के शीर्ष नेता, जैसे गाजा में हमास के वार्ता प्रमुख खलील अल-हैया, जाहेर जबारिन (वेस्ट बैंक प्रमुख), मुहम्मद इस्माइल दरवेश (शूरा काउंसिल प्रमुख), और पूर्व नेता खालिद माशाल थे।
– हमास के अनुसार, प्रमुख नेताओं को बचा लिया गया, लेकिन खलील अल-हैया के बेटे और अन्य कुछ लोगों की मृत्यु हो गई।
– इसके अलावा, कतार के एक सुरक्षा अधिकारी की भी जान गई।
इज़रायली दावे
– इज़रायल रक्षा बल (IDF) और शिन बेट ने इसे “निशाना साधा हमला (precise strike)” बताया और इसे खुद का अभियान बताया, जिसे इज़रायल ने पूरी जिम्मेदारी ली।
– उनका तर्क था कि यह हमास के 7 अक्टूबर 2023 को हमलों और हाल ही में हुए हमलों के जवाब में जरूरी था।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
– कतर ने इस हमले को अंतर्राष्ट्रीय कानून व संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया और इसे बहुत “घातक” आक्षेप माना।
– तुर्की, यूके, सऊदी अरब, यूएई, फ्रांस, मिस्र सहित कई देशों ने कड़ी आलोचना की।
– तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने इसे “राज्य आतंकवाद” बताया।
– कतर के प्रधानमंत्री ने शांतिरक्षा प्रयासों में यह हमले “घातक” और “विश्वासघात” के रूप में वर्णित किया, साथ ही यह घोषणा की कि इस हमले से मध्यस्थता का रास्ता प्रभावित हो सकता है।
अमेरिकी प्रतिक्रिया
– अमेरिकी राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रम्प) ने कहा कि वह इस हमले से “बहुत असहज” हैं और इसे अमेरिकी और इज़रायल के हितों के खिलाफ बताया।
– व्हाइट हाउस ने पहले चेतावनी दी जाने की बात स्वीकार की, लेकिन साथ ही खुद को इस हमले से अलग भी रखा।
महत्वपूर्ण बिंदु
– कतार पर हमला एक संप्रभु देश की भूमिका को चुनौती देने वाला कदम है। यह अंतर्राष्ट्रीय नियमों के लिहाज़ से सवाल खड़ा करता है—क्या यह आत्मरक्षा के दायरे में आता है, या यह एक जागरूक अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है?
– यह हमला ऐसे समय में हुआ जब गाजा युद्धविराम बातचीत चल रही थीं। इससे शांति प्रक्रिया को भारी असर पहुँचा है और मध्यस्थता प्रयासों की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।
– गल्फ देशों (कतर, सऊदी अरब, यूएई इत्यादि) में इस हमले ने गुस्सा और असंतोष जगाया है। इससे क्षेत्रीय स्थिरता और सामंजस्य को भंग करने की संभावना बढ़ गई है।
कतर
– राजधानी : दोहा
– अमीर : तमीम बिन हमद
– प्रधानमंत्री : मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान
– मुद्रा : कतरी रियाल
इजरायल
– राजधानी : येरूसलम
– प्रधानमंत्री : बेंजामिन नेतन्याहू
– राष्ट्रपति : इसहाक हर्ज़ोग
– मुद्रा : न्यू शेकेल
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7. भारतीय सेना ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए कौन सा अभियान चलाया?
Which operation was launched by the Indian Army to rescue people stranded in floods in Punjab, Himachal Pradesh and Jammu and Kashmir?
a. ऑपरेशन हमदर्द
b. ऑपरेशन राहत
c. ऑपरेशन यकीन
d. ऑपरेशन सहायता
Answer: b. ऑपरेशन राहत
– सितंबर 2025 में उत्तर भारत के कई राज्य भीषण बाढ़ की चपेट में आ गए।
– ‘ऑपरेशन राहत’ के तहत, भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर में बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया।
– 6,000 से अधिक लोगों को निकाला गया और 13,000 से अधिक नागरिकों को चिकित्सा सहायता प्रदान की गई।
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8. अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस कब मनाया जाता है?
When is International Literacy Day celebrated?
a. 03 सितंबर
b. 04 सितंबर
c. 05 सितंबर
d. 08 सितंबर
Answer: d. 08 सितंबर
2025 की थीम
– डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना
– Promoting literacy in the digital era
– यह दिवस UNESCO द्वारा 1966 में घोषित किया गया था और 1967 में पहली बार मनाया गया था।
– साक्षरता सभी के लिए एक मौलिक मानव अधिकार है। यह अन्य मानवाधिकारों, अधिक स्वतंत्रताओं और वैश्विक नागरिकता के आनंद के द्वार खोलता है।
नोट – भारत का पहला डिजिटल साक्षर राज्य : केरल
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9. त्रिपुरा, मिजोरम, गोवा और लद्दाख के बाद कौन सा राज्य / UT पूर्ण साक्षर घोषित किया गया?
After Tripura, Mizoram, Goa and Ladakh, which State/UT was declared fully literate?
a. हिमाचल प्रदेश
b. बिहार
c. उत्तर प्रदेश
d. राजस्थान
Answer: a. हिमाचल प्रदेश
– विश्व साक्षरता दिवस पर 8 सितंबर 2025 को हिमाचल प्रदेश को को “पूर्ण साक्षर राज्य” घोषित किया गया।
– इससे उस विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया, जिसमें केवल तीन अन्य राज्य – त्रिपुरा, मिजोरम और गोवा – और एक केंद्र शासित प्रदेश – लद्दाख – ही सदस्य हैं।
– इस उपलब्धि की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य की साक्षरता दर 99.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो राष्ट्रीय मानक 95 प्रतिशत से कहीं अधिक है।
हिमाचल प्रदेश
– राजधानी – शिमला
– सीएम – सुखविंदर सिंह सुक्खू
– राज्यपाल – शिव प्रताप शुक्ला
– पड़ोसी राज्य – उत्तराखंड, हरियाणा पंजाब, जम्मू कश्मीर, लद्दाख
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10. किस पड़ोसी देश में Gen-Z युवाओं ने संसद, सुप्रीम कोर्ट, नेताओं के घर जला दिए और PM को इस्तीफा देकर भागना पड़ा?
In which neighbouring country did Gen-Z youth burn down the Parliament, Supreme Court, houses of leaders and the PM had to resign and run away?
a. चीन
b. नेपाल
c. भूटान
d. पाकिस्तान
Answer: b. नेपाल

– पड़ोस में बुरा हाल – श्रीलंका, बांग्लादेश और फिर सितंबर 2025 में नेपाल।
– नेपाल में भी युवाओं ने प्रदर्शन किया तो, सरकार भाग खड़ी हुई।
– नेपाल में 26 सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ शुरू हुआ Gen-Z युवाओं का प्रदर्शन भ्रष्टाचार, कुशासन, भाई-भतीजावाद के मुद्दे तक पहुंचा।
– पहले दिन सरकार के निर्देश पर चली गोलियों से 19 युवाओं की मौत हो गई। सैंकड़ों लोग घायल हुए।
– नतीजा हुआ कि दूसरे ही दिन 9 सितंबर 2025 को युवाओं ने सरकार को सत्ता से उखाड़कर फेंक दिया।
– नेपाल की संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के निजी घर और सबसे खास काठमांडू का सिंह दरबार, सब एक दिन में जल गया।
– खबर आ रही है कि पूर्व पीएम झालानाथ खनाल की पत्नी को जिंदा जला दिया गया।
– वित्तमंत्री विष्णु पौडेल को दौड़ा-दौड़ाकर मारा गया।
– प्रधानमंत्री के निजी घर को जला दिया। पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा और पुष्प कमल दहल के घर को भी आग के हवाले कर दिया।
– राष्ट्रपति के निजी घर पर कब्जा कर लिया।
– वित्त मंत्री को सड़कों पर दौड़ाकर पीटा।
– पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी अर्जू राणा देउबा, जो देश की वर्तमान विदेश मंत्री हैं, पर उनके आवास पर हमला किया गया।
– विदेश मंत्री को जलते हुए उनके घर से निकाला गया।
– गृह मंत्री के घर में आग लगा दी।
– हेलिकॉप्टर से प्रधानमंत्री को भागना पड़ा।
– सेना के निर्देश पर PM केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया।
– PM केपी शर्मा ओली की पार्टी CPNUML के कार्यालय में आग लगा दी।
– नेपाल के बड़े मीडिया हाउस कान्तिपुर टाइम्स के दफ़्तर में आग लगा दी गई।
– काठमांडु एयरफोर्ट बंद कर दिया गया।
– PM केपी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति को इस्तीफा दिया।
– फिर सेना और राष्ट्रपति ने जनता से शांति की अपील की।
– राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों से अगले हफ्ते बातचीत का आह्वान किया।
कौन हैं 35 साल के बालेन शाह? जो बन सकते हैं नए PM
– इस्तीफे के बाद अब सोशल मीडिया पर एक नया नाम चर्चा में है-काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, जिन्हें Gen Z प्रदर्शनकारी देश की नई उम्मीद मानकर प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं।
– बालेन शाह (Balen Shah) काठमांडू के 15वें मेयर, सिविल इंजीनियर और रैपर हैं। उनका पूरा नाम बालेंद्र शाह है।
– साल 2023 में टाइम मैगज़ीन ने उन्हें अपने टॉप 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे वैश्विक मीडिया ने भी उनकी तारीफ की।
– हाल ही में उन्होंने ‘Gen Z’ के नेतृत्व वाले प्रदर्शन का समर्थन किया। उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि भले ही वे आयु सीमा (28 वर्ष से कम) के कारण प्रदर्शन में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन उनकी पूरी सहानुभूति और समर्थन प्रदर्शनकारियों के साथ है।
– नेपाल में सोशल मीडिया पर खासकर फेसबुक पर बालेन शाह के समर्थन में पोस्ट की भरमार है।
– ‘Gen Z’ अपनी टाइमलाइन पर लिख रहे हैं ‘प्रिय बालेन, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं’ और उनसे नई राजनीतिक पार्टी बनाकर देश को नई दिशा देने की गुजारिश कर रहे हैं। युवा इसका कारण बताते हैं कि नेपाल की तीन प्रमुख पारंपरिक पार्टियों के नेताओं ने देश को निराशा के गर्त में धकेला है। इसलिए अब बालेन जैसे ईमानदार और युवा नेता ही देश को तरक्की की राह दिखा सकते हैं।
– नेपाल सरकार ने स्पष्ट किया है कि राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में हुए हिंसक प्रदर्शन में मेयर बालेन शाह की भूमिका संदिग्ध है।
नेपाल में राजनीतिक संकट
– पिछले पांच साल में नेपाल में चार प्रधानमंत्री बदल चुके हैं।
– पहले केपी शर्मा ओली, फिर शेर बाहादुर देउबा, फिर पुष्प कमल दाहाल प्रचण्ड और फिर केपी शर्मा ओली।
– इस वजह से प्रदर्शनकारियों की मांग बढ़ी है। वे केवल सोशल मीडिया प्रतिबंध नहीं हटाना चाहते थे, बल्कि सरकार, भ्रष्टाचार, और सत्ता की संरचना में बदलाव की आवाज उठा रहे थे।
नेपाल सरकार ने क्यों बंद किया था सोशल मीडिया ऐप
– नेपाल के युवाओं में गुस्सा पहले था, लेकिन सोशल मीडिया ऐप पर बैन ने इसे विस्फोटक बना दिया।
– सरकार का तर्क था कि यह कदम इंटरनेट पर फर्जी पहचान, अव्यवस्था, और घृणा फैलाने को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया था।
– सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा था, लेकिन ज्यादातर ने नहीं करवाया था।
भारत का कदम
– भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) और संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दोनों ने स्थिति पर गहरी चिंता जताई, और भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की गई है।
GEN-Z आंदोलन की 6 प्रमुख वजहें
1) 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध
2) भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी व नेपोटिज्म: जेन-जी को भ्रष्टाचार, महंगाई, बेरोजगारी ने निराश किया। भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) और चहेतों को कुर्सी पर बैठाने से नेताओं के बच्चों की विदेशी यात्राएं, ब्रांडेड सामान, शानोशौकत की पार्टियां सोशल मीडिया पर चर्चित होने लगीं। फिलीपींस, इंडोनेशिया का ‘नेपो बेबी’ कैंपेन नेपाल में भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। सरकार ने प्रतिबंध लगाया तो जेन-जी ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश माना।
3) तीन बड़े घोटाले: 4 साल में 3 बड़े घोटाले सामने आए। 2021 में 54,600 करोड़ का गिरी बंधु भूमि स्वैप घोटाला, 2023 में 13,600 करोड़ का ओरिएंटल कोऑपरेटिव घोटाला और 2024 में 69,600 करोड़ रु. का कोऑपरेटिव घोटाला। इससे युवाओं में सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था।
4) राजनीतिक अस्थिरता: 5 साल में 3 सरकारें आईं। जुलाई 2021 में शेर बहादुर देउबा पीएम। दिसंबर 2022 में प्रचंड पीएम बने। जुलाई 2024 से ओली आए।
5) बेरोजगारी-आर्थिक असमानता: बेरोजगारी दर 2019 में 10.39% थी, अभी 10.71% है। महंगाई दर 2019 में 4.6% थी। अब 5.2% है। आर्थिक असमानता हावी। 20% लोगों के पास 56% संपत्ति।
6) विदेशी दबाव: ओली सत्ता में आए तो चीन की ओर झुकाव बढ़ा। पहले सरकारों ने कई फैसले अमेरिकी प्रभाव में लिए। सोशल मीडिया बैन के बीच सिर्फ चीनी ऐप टिक-टॉक चलता रहा। युवाओं को लगता है कि बड़े देशों के दबाव में नेपाल मोहरे जैसा इस्तेमाल हो रहा है।
संसद भवन में आग लगाने का मतलब?
1) प्रतीकात्मक हमला : सत्ता के खिलाफ विद्रोह दिखाना
– संसद भवन किसी भी देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था, संविधान और जनता की प्रतिनिधि संस्था का प्रतीक होता है।
– वहां आग लगाने या हमला करने का मतलब सीधे तौर पर व्यवस्था और सत्ता के खिलाफ विद्रोह दिखाना होता है।
2) जन आक्रोश की चरम स्थिति
– जब लोग महसूस करते हैं कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही और सरकार ज़बरदस्ती कर रही है (जैसे सोशल मीडिया बैन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी), तब उनका गुस्सा राजनीतिक प्रतीकों पर निकलता है।
– संसद भवन पर हमला यह संदेश देता है कि जनता मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से बेहद नाराज़ है।
3) सरकार पर दबाव बनाने का तरीका
– ऐसी कार्रवाई अक्सर यह जताने के लिए की जाती है कि सरकार और राजनेताओं की वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।
– प्रदर्शनकारी दिखाना चाहते हैं कि “अगर आप हमारी आवाज़ दबाएंगे तो हम उस जगह को ही निशाना बनाएंगे जहां से फैसले लिए जाते हैं।”
4) खतरनाक मोड़: अराजकता और अस्थिरता
– संसद पर हमला या आगजनी केवल विरोध नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था और राज्य की संप्रभुता के खिलाफ सीधा हमला माना जाता है।
– यह घटनाएं लोकतंत्र को कमजोर कर सकती हैं और सेना/पुलिस को कड़े दमनात्मक कदम उठाने का बहाना देती हैं।
नोट – संसद भवन में आग लगाने का मतलब यह है कि गुस्से और असंतोष से भरे प्रदर्शनकारी अब सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि पूरी राजनीतिक व्यवस्था को अस्वीकार कर रहे हैं। यह विद्रोह का चरम संकेत है।
नेपाल की राजनीति – आगे क्या हो सकता है?
1) अंतरिम/कार्यवाहक सरकार बनेगी
– ओली इस्तीफ़ा दे चुके हैं, लेकिन जब तक नई सरकार नहीं बनती, वे कार्यवाहक प्रधानमंत्री रह सकते हैं।
– राष्ट्रपति नए गठबंधन के आधार पर प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे।
– ओली के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री कौन होगा, यह एक पेचीदा सवाल है। अगर कुछ युवा प्रदर्शनकारियों की अपीलों को कोई संकेत मानें, तो बालेन्द्र शाह, जो एक रैपर हैं और जिन्होंने स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और बाद में काठमांडू के मेयर बने, इस पद के प्रबल दावेदार हैं।
2) नए गठबंधन की सरकार
– अगर दलों में सहमति बनती है, तो एक नया पीएम चुन लिया जाएगा।
– संभावना है कि या तो शेर बहादुर देउबा (Nepali Congress) या फिर प्रचण्ड (माओवादी) नेतृत्व करें।
– लेकिन यह सरकार भी अस्थिर हो सकती है, क्योंकि नेपाल में गठबंधन राजनीति हमेशा खींचतान में रहती है।
– लेकिन यह सरकार बनाना भी कठिन होगा, क्योंकि जनता इस राजनीतिक नेताओं से ऊब चुकी है।
3) समय से पहले आम चुनाव
– अगर कोई दल बहुमत का गठबंधन बनाने में असफल होता है, तो संभावना है कि संसद भंग हो और जल्द चुनाव हों।
– यह स्थिति नेपाल को और अस्थिर कर सकती है, लेकिन युवाओं के लिए नई राजनीतिक ताकतों को उभरने का मौका भी देगी।
4) युवाओं (Gen-Z) की राजनीति में एंट्री
– मौजूदा आंदोलन ने युवाओं को संगठित कर दिया है।
– यह संभव है कि आने वाले चुनावों में कोई नई राजनीतिक पार्टी या प्लेटफ़ॉर्म उभरे, जो सीधे युवा पीढ़ी और डिजिटल स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करे।
– लंबी अवधि में, यह आंदोलन नई राजनीतिक ताकत और युवाओं के लिए बड़े अवसर लेकर आ सकता है।
5) संभावित खतरे
– अगर सरकार और आंदोलनकारियों के बीच संवाद नहीं हुआ, तो हिंसा दोबारा भड़क सकती है।
– सेना/सुरक्षा बलों की भूमिका बढ़ सकती है, जिससे लोकतंत्र पर असर पड़ेगा।
– नेपाल की अर्थव्यवस्था (पहले ही कमजोर) और पर्यटन पर गंभीर असर होगा।
क्षेत्रीय असर
– भारत – सीमा इलाकों में अशांति बढ़ सकती है, व्यापार और आवागमन प्रभावित होंगे।
– चीन – वह नेपाल में स्थिरता चाहता है और राजनीतिक दलों पर दबाव डाल सकता है।
– अंतरराष्ट्रीय दबाव – UN और पश्चिमी देश लोकतंत्र और मानवाधिकारों के नाम पर नेपाल पर नजर रखेंगे।
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