30 जून & 1 जुलाई 2024 करेंट अफेयर्स – सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण

यह 30 जून & 1 जुलाई 2024 का करेंट अफेयर्स है। सरकारी नौकरी के लिए होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा की बेहतर तैयारी के लिए डेली करेंट अफेयर्स के सवाल-जवाब यहां बता रहे हैं।

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केंद्र सरकार ने देश में 1 जुलाई 2024 से इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह कौन सी ‘संहिता’ लागू की?
Which ‘Sanhita’ has been implemented by the Central Government in place of the Indian Penal Code (IPC) in the country from July 1, 2024?

a. भारतीय न्‍याय संहिता (BNS)
b. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
c. भारतीय साक्ष्‍य संहिता (BSS)
d. भारतीय दंड विधान संहिता

Answer: a. भारतीय न्‍याय संहिता (BNS) / Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS)

– 162 साल पुराने IPC की जगह BNS लागू हुआ।
– नोट: IPC का मसौदा थॉमस बबिंगटन मैकाले की अध्यक्षता में 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत 1834 में स्थापित भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिशों पर तैयार किया गया था। यह 1862 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में लागू हुआ।

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– 30 जून 2024 तक दर्ज सभी मामलों का ट्रायल पुराने कानून के अनुसार ही होगा।
– 1 जुलाई 2024 से नए मामले BNS के तहत दर्ज किए जाएंगे।

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भारतीय न्‍याय संहिता (BNS)
– BNS में IPC के 22 प्रावधानों को निरस्‍त और 175 में बदलाव किया गया है।
– इसमें 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
– BNS में कुल 356 धाराएं हैं।

IPC की तुलना में BNS में प्रमुख फर्क?
– मर्डर, 302, 101
– धोखाधड़ी, 420, 318
– रेप, 375, 63
– गैंगरेप, 376 (D), 70
– गैर-कानूनी सभा, 141-144, 187-189
– दंगा, 146, 191
– दहेज हत्‍या, 307, 109
– हत्‍या का प्रयास, 307, 109
– मानहानि, 499, 356
– किडनैपिंग, 359, 137
– हमला, 351, 130
– पीछा करना, 354 (D), 78

भारतीय न्‍याय संहिता (BNS) में क्‍या नया जुड़ा?
– शादी का झांसा देकर यौन शोषण करना अब अपराध
– मॉब लिंचिंग के लिए अलग से धारा
– ऑर्गनाइज्‍ड क्राइम के लिए अलग धारा, इसमें डकैती, चोरी, कब्‍जा, तस्‍करी, साइबर क्राइम शामिल
– आतंकवाद को क्रिमिनल कानूनों में शामिल किया गया
– पब्लिक सर्वेंट को ऑफिशियल ड्यूटी से रोकने के लिए सुसाइड का प्रयास करना अब अपराध होगा

भारतीय न्‍याय संहिता (BNS) से क्‍या हटा?
– जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाना अब गैर-कानूनी नहीं
– अडल्‍ट्री को भी क्रिमिनल कानूनों से हटा दिया गया है, यह अपराध नहीं है।
– बच्‍चों से जुड़े अधिकतर अपराधों में लैंगिक असमानता को हटाया गया। लड़के-लड़की दोनों को बराबर अधिकार मिले।

भारतीय न्‍याय संहिता (BNS) में नया अपडेट
– धारा 69 के अनुसार किसी भी महिला से शादी का झूठा वादा करके या उसे नौकरी और प्रमोशन का लालच देकर यौन संबंध बनाने पर (रेप न हो फिर भी) दस साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
– इसमें पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है।
– IPC में इससे निपटने के लिए कोई स्‍पष्‍ट कानून नहीं था। इसके चलते कोर्ट IPC की धारा 493 और धारा 90 की मदद से मिसकन्‍सेप्‍शन ऑफ फैक्‍ट के तहत फैसला सुनाता था। इसमें दस साल तक जेल का प्रावधान था।

नाबालिग से गैंगरेप में फांसी की सजा
– नाबालिग के साथ गैंगरेप या गैंगरेप की कोशिश करने पर BNS में धारा 70(2) के तहत अपराध में शामिल हर व्‍यक्ति को फांसी तक की सजा हो सकती है।
– धारा 70(1) के तहत किसी वयस्‍क महिला के साथ गैंगरेप के अपराध में भी उम्रकैद और कम से कम 20 साल की कैद की सजा हो सकती है।

एक्‍स्‍ट्रा मैरेटल अफेयर अब अपराध नहीं
– BNS में एडट्री को हटा दिया गया है। यानी एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं है।
– 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 497 को असंवैधानिक बताया था। इस धारा में एडट्री के नियमों को बताया गया था।
– हालांकि BNS की धारा 84 के तहत किसी शादीशुदा महिला को धमकाकर, फुसलाकर उससे अवैध संबंध बनाने के इरादे से ले जाना अब अपराध माना जाएगा। इसमें 2 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।

नाबालिग पत्‍नी से जबरन शारीरिक संबंध रेप होगा
– BNS की धारा 63 में रेप को परिभाषित किया गया है।
– इसके एक्‍सेप्‍शन 2 में कहा गया है कि कोई व्‍यक्ति पत्‍नी के साथ जबरदस्‍ती यौन संबंध बनाता है, तो उसे रेप नहीं माना जाएगा। बशर्ते पत्‍नी की उम्र 18 साल से अधिक हो।
– यानी नाबालिग पत्‍नी से जबरन संबंध बनाना रेप के दायरे में आएगा। पहले IPC की धारा 375 में यह उम्र 15 साल थी।

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सामुदायिक सजा:
– पहली बार छोटे-मोटे अपराधों (नशे में हंगामा, 5 हजार से कम की चोरी) के लिए 24 घंटे की सजा या एक हजार रु. जुर्माना या सामुदायिक सेवा करने की सजा हो सकती है। अमेरिका-UK में ऐसा कानून है।
– अभी ऐसे अपराधों पर जेल भेजा जाता है।

क्या है प्रस्तावित राजद्रोह कानून?
– गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पेश करते हुए कहा था कि कि राजद्रोह का कानून खत्‍म कर दिया गया है। हालांकि, हकीकत है कि इसे नए नाम से शामिल किया गया है।
– भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 की धारा 150 राजद्रोह संबंधित अपराध से जुड़ा है।
– हालाँकि, इसमें राजद्रोह शब्द का उपयोग नहीं किया गया है, बल्कि अपराध को “भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला” बताया गया है।
– अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य, चाहे बोला हो या लिखा हो, या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो, तो 7 साल से उम्रकैद तक सजा संभव होगी। देश की एकता एवं संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी परिभाषित किया गया है।
– जबकि पुराने IPC की धारा 124ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस धारा को निरस्‍त कर चुका है।

भगोड़ों को अब मिलेगी सजा
– सुनवाई में गायब रहने वाले अपराधियों को लेकर भी सजा का प्रावधान किया गया है।
– सेशन कोर्ट के जज पूरी प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे उसकी अनुपस्थिति में ट्रायल होगा और उसे सजा भी दी जाएगी।
– दुनिया में वो कहीं भी छिपे, उसे सजा सुनाई जाएगी। अगर उसे सजा से बचना है तो वह न्याय की शरण में आए।

सजा माफी पर अब शर्ते
– मौत की सजा सिर्फ आजीवन कारावास और आजीवन कारावास को 7 साल तक सजा में बदला जा सकेगा।
– यह सुनिश्चित करेगा कि सियासी प्रभाव वाले लोग कानून से बच न सकें।
– सरकार पीड़ित को सुने बिना 7 साल कैद या अधिक सजा वाले केस वापस नहीं ले सकेगी।

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देश में एक जुलाई 2024 से कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) की जगह किस ‘संहिता’ को लागू किया गया है?
Which ‘Sanhita’ has been implemented in the country in place of the Code of Criminal Procedure (CrPC) from July 1, 2024?

a. भारतीय न्‍याय संहिता (BNS)
b. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
c. भारतीय साक्ष्‍य संहिता (BSS)
d. भारतीय दंड विधान संहिता

Answer: b. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) / Bharatiya Nagrik Suraksha Sanhita (BNSS)

– BNSS के जरिए CrPC के 9 प्रावधानों को निरस्‍त किया गया।
– 160 प्रावधानों में बदलाव किया गया।
– 9 नए प्रावधान किए गए।
– BNSS में अब कुल 533 धाराएं हैं।

नए अपडेट
– पुलिस स्‍टेशन जाए बगैर होगी FIR (इससे पहले कुछ राज्‍यों में चोरी जैसे अपराधों में E-FIR दर्ज कराई जा सकती थी, लेकिन अब देशभर में हत्‍या, लूट, रेप जैसे गंभीर मामलों में भी E-FIR हो सकती है)
– किसी भी पुलिस स्‍टेशन में दर्ज करा सकेंगे FIR: धारा 173 में जीरो FIR का प्रावधान दिया गया है। घटना किसी भी क्षेत्र की हो, FIR होगी।
– फोन पर केस की जानकारी: SMS के जरिए अपडेट मिलेगा
– अरेस्‍ट होने की जानकारी का प्रावधान: धारा 46 के अनुसार व्‍यक्ति को अरेस्‍ट होने के बाद अपनी इच्‍छा से किसी भी एक व्‍यक्ति को अरेस्‍ट की जानकारी देने का अधिकार दिया गया है। वीडियोग्राफी भी होगी।
– गंभीर मामलों में फॉरेंसिक जांच जरूरी: धारा 176 में गंभीर अपराध के मामलों में फॉरेंसिक जांच को जरूरी किया गया। इसके मुताबिक सात साल से ज्‍यादा की सजा वाले सभी मामलों में फॉरेंसिक एक्‍सपर्ट अपराध वाली जगह पर जाकर सबूत इकट्ठा करेंगे। किसी के घर की तलाशी के वक्‍त भी पुलिस को वीडियोग्राफी करनी होगी।
– महिलाओं- बच्‍चों पर अपराध की जांच 2 महीनों में करने का प्रावधान

ट्रायल कोर्ट को 3 साल में देना होगा फैसला
– सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिकतम 3 साल में देना होगा।

– देश में 5 करोड़ केस पेंडिंग हैं।
– इनमें से 4.44 करोड़ केस ट्रायल कोर्ट में हैं।

हथकड़ी का प्रयोग
– पुलिस अधिकारी को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय हथकड़ी का उपयोग करने की अनुमति दी जा सकती है यदि वह आदतन, बार-बार अपराधी है जो हिरासत से भाग गया है, या एक संगठित अपराध, आतंकवादी कार्य, नशीली दवाओं से संबंधित अपराध, हथियारों का अवैध कब्ज़ा, हत्या, बलात्कार, एसिड हमला, जाली मुद्रा, मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध या राज्य के खिलाफ अपराध किया हो।

मुकदमा चलाने की मंजूरी
– किसी लोक सेवक पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने या अस्वीकार करने का निर्णय अनुरोध प्राप्त होने के 120 दिनों के भीतर सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।
– यदि सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो मंजूरी दे दी गई मानी जाएगी।
– यौन अपराध, तस्करी आदि मामलों में किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।

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केंद्र सरकार ने पूरे देश में 1 जुलाई 2024 से भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम की जगह किस ‘संहिता’ को लागू किया है?
Which ‘Sanhita’ has been implemented by the Central Government in place of the Indian Evidence Act across the country from July 1, 2024?

a. भारतीय न्‍याय संहिता (BNS)
b. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
c. भारतीय साक्ष्‍य संहिता (BSS)
d. भारतीय दंड विधान संहिता

Answer: c. भारतीय साक्ष्‍य संहिता (BSS) / Bharatiya Sakshya Sanhita (BSS)

– BSS में पुराने भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम (इंडियन एविडेंस एक्‍ट) के 5 प्रावधानों को निरस्‍त कर दिया गया है।
– 23 प्रावधानों में बदलाव के साथ नया प्रावधान भी शामिल किया गया है।
– अब कानून में कुल 170 धाराएं हैं।

अपडेट
– ई-डॉक्‍यूमेंट भी सबूत होंगे
– पुलिस को दिया बयान कोर्ट में मान्‍य नहीं होगा

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इन पुराने कानून की जगह नए कानून
– इंडियन पीनल कोड (IPC) : भारतीय न्‍याय संहिता (BNS)
– कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) : भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS)
– इंडियन एविडेंस एक्‍ट : भारतीय साक्ष्‍य संहिता (BSS)

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नए कानून की चुनौतियां

जजों को दो तरह के कानून में महारत हासिल करनी पड़ेगी
– देश की अदालतों में लगभग 5.13 करोड़ मुकदमे पेंडिंग हैं, जिनमें से लगभग 3.59 करोड़ यानी 69.9% क्रिमिनल मैटर्स हैं। इन लंबित मामलों का निपटारा पुराने कानून के मुताबिक ही किया जाएगा।
– नए कानून में मुकदमों के जल्द ट्रायल, अपील और इसके फैसले पर जोर दिया गया है। पुराने मुकदमों में फैसलों के बगैर नए मुकदमों पर जल्द फैसले से जजों के सामने नई चुनौती आ सकती है।
– इसके अलावा एक ही विषय पर जजों को दो तरह के कानून में महारथ हासिल करनी पड़ेगी, जिसकी वजह से कन्फ्यूजन बढ़ने के साथ मुकदमों में जटिलता बढ़ सकती है।

पुलिस के ऊपर दोहरा दबाव बढ़ेगा
– नए कानून से सबसे ज्यादा बोझ पुलिस पर पड़ेगा। पुराने केस में अदालतों में पैरवी के लिए उन्हें पुराने कानून की जानकारी चाहिए होगी, जबकि नए मुकदमों की जांच नए कानून के अनुसार होगी।

वकीलों की जिम्मेदारी और कन्फ्यूजन बढ़ेगा
– अब वकीलों को दोनों तरह कानूनों की जानकारी रखनी होगी। नए कानून में मुकदमों के जल्द फैसले के प्रावधान हैं, लेकिन पुराने मुकदमों के निपटारे के बगैर नए मुकदमों पर जल्द फैसला मुश्किल होगा। ऐसे में क्लाइंट और लिटीगैंट की तरफ से वकीलों और जजों पर कई तरह के दबाव बढ़ेंगे।

आम लोगों का पुलिस उत्पीड़न बढ़ सकता है
– नए कानूनों में पुलिस की हिरासत की अवधि में बढ़ोतरी जैसे नियमों से पुलिस उत्पीड़न के मामले और आम लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

– जिला अदालतों का नियंत्रण हाईकोर्ट के अधीन होता है, लेकिन अदालतों के लिए इन्फ्रा, कोर्ट रूम, जजों का वेतन आदि का बंदोबस्त राज्य सरकारों के माध्यम से होता है।
– इन्फ्रा की कमी की वजह से जिला अदालतों में लगभग 5,850 जजों के पदों पर भर्ती नहीं हो पा रही है। इसलिए नए कानूनों की सफलता राज्यों के सहयोग पर निर्भर रहेगी।

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